जमशेदपुर में डेंगू की दस्तक, 18 हॉटस्पॉट क्षेत्र घोषित; हाई अलर्ट पर स्वास्थ्य विभाग
जमशेदपुर में डेंगू का खतरा बढ़ गया है एक दिन में 11 संदिग्ध मरीज मिले हैं जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है। 18 क्षेत्रों को हॉटस्पॉट घोषित किया गया है। सबसे ज्यादा मामले गोविंदपुर से सामने आए हैं। विभाग जागरूकता अभियान चला रहा है और लोगों से सतर्क रहने की अपील की जा रही है। सैंपल्स को जांच के लिए भेजा गया है।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। शहर में डेंगू का खतरा एक बार फिर मंडराने लगा है। इस साल पहली बार एक ही दिन में 11 संदिग्ध मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग हाई अलर्ट मोड में आ गया है।
सर्विलांस टीम ने सभी मरीजों के सैंपल लेकर एमजीएम मेडिकल कॉलेज जांच के लिए भेज दिए हैं। जिले में अब तक कुल 34 संदिग्ध मामलों में नौ की पुष्टि हो चुकी है।
बढ़ते खतरे को देखते हुए जिले के 18 क्षेत्रों को हॉटस्पॉट घोषित कर विशेष रणनीति बनाई गई है। बुधवार को मिले 11 संदिग्ध मरीजों में सबसे अधिक सात गोविंदपुर से हैं, जबकि परसुडीह, बिरसानगर, जोजोबेड़ा और लुआबासा से एक-एक मरीज सामने आए हैं।
सभी का इलाज शहर के अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि कितने मरीज डेंगू संक्रमित हैं।
18 हॉटस्पॉट क्षेत्र घोषित
डेंगू के पुराने रिकॉर्ड और हालिया केसों के आधार पर स्वास्थ्य विभाग ने पूर्वी सिंहभूम के 18 क्षेत्रों को डेंगू हॉटस्पॉट घोषित किया है। इनमें मानगो, कदमा, टेल्को और चाकुलिया को सबसे संवेदनशील माना गया है। इन इलाकों में हर साल सबसे ज्यादा मरीज सामने आते हैं।
डेंगू से निपटने को तैयार माइक्रो प्लान
विभाग ने शहर को तीन हिस्सों में बांटते हुए तीन निगरानी टीमें बनाई हैं। जुगसलाई क्षेत्र की जिम्मेदारी आर्यन सिन्हा को, मानगो की ब्रह्मराज यादव को और साकची क्षेत्र की जिम्मेदारी जुस्को टीम को दी गई है। हर टीम में 4-5 सदस्य हैं, जो नियमित छिड़काव, सर्च अभियान और जन जागरूकता में जुटे हैं।
अगस्त से नवंबर सबसे खतरनाक
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक डेंगू के सबसे ज्यादा मामले अगस्त से नवंबर के बीच आते हैं। बीते साल सितंबर में 605 और अक्टूबर में 202 मरीज मिले थे। इस बार भी विभाग ने सितंबर को सबसे संवेदनशील महीना माना है।
चपेट में सबसे अधिक बच्चे
डेंगू से सबसे अधिक प्रभावित आयु वर्ग 0 से 14 वर्ष तक के बच्चे हैं। 2023 के आंकड़ों के अनुसार, इस उम्र वर्ग के 19.5 प्रतिशत बच्चे डेंगू की चपेट में आए थे।
इसके बाद 15-29 वर्ष के 12.4 प्रतिशत, 30-44 वर्ष के 10.4 प्रतिशत, 45-59 के 7.5 प्रतिशत और 60 वर्ष से ऊपर के 4.4 प्रतिशत लोग प्रभावित हुए थे।
नुक्कड़ नाटक से लेकर स्कूलों में अभियान
डेंगू से बचाव के लिए विभाग ने व्यापक जागरूकता अभियान शुरू किया है। स्कूलों में जागरूकता अभियान, एमपीडब्ल्यू और सहिया को प्रशिक्षण, शहर के चिकित्सकों के साथ बैठक और नुक्कड़ नाटक जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। रांची में भी सर्विलांस टीम को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।
जहां भी डेंगू के मामले मिल रहे हैं, वहां त्वरित कार्रवाई की जा रही है। एंटी लार्वा का छिड़काव, लार्वा नष्ट करने और जागरूकता अभियानों में तेजी लाई गई है। लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है। -डॉ. साहिर पाल, सिविल सर्जन।
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