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    CSIR–NML ने पूरे किए 75 वर्ष, नेहरू की दृष्टि ने बनाया इसे वैज्ञानिक शक्ति का आधार, जमशेदपुर की लैब ने गढ़ी देश की वैज्ञानिक पहचान

    By Ch Rao Edited By: Sanjeev Kumar
    Updated: Tue, 25 Nov 2025 05:32 PM (IST)

    वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (CSIR-NML) ने 75 वर्ष पूरे किए। जवाहरलाल नेहरू की दूरदर्शिता ने इसे वैज्ञानिक शक्ति का आधार बनाया। जमशेदपुर स्थित इस लैब ने देश की वैज्ञानिक पहचान को मजबूत किया और धातुकर्म के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसने अनुसंधान और विकास के माध्यम से देश को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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    वर्ष 1950 में उद्घाटन के अवसर पर एनएमएल का अवलोकन करते देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू।

    जासं, जमशेदपुर। जमशेदपुर के बर्मामाइंस स्थित सीएसआइआर-एनएमएल (राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला) बुधवार को अपने 75वें स्थापना दिवस का रजत जयंती समारोह मनाएगा। सीएसआइआर-एनएमएल की पहचान देश में एक शोध प्रयोगशाला के रूप में है।

    इस प्रयोगशाला की स्थापना का मुख्य श्रेय देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का है। इस 75 वर्षों के यात्रा में प्रयोगशाला ने नए खनिज, धातु और सामग्री के क्षेत्र में राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

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    प्रयोगशाला देश को वैज्ञानिक और तकनीकी नेतृत्व की ओर ले जाने और सतत विकास लक्ष्यों की ओर उद्योगों का रुझान देने में अहम भूमिका निभा रही है। सीएसआइआर-एनएमएल अपनी शुरुआत के 75वीं शानदार वर्षगांठ मना रही है और वैश्विक अर्थव्यवस्था की चुनौतियों का सामना करने तथा विकसित भारत के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का विकास करने हेतु कोशिश कर रही है।

    प्रयोगशाला जरूरी खनिज की उपलब्धता, निकालने के तरीकों, और पुनर्चक्रण से मांग को पूरा करने और उनके इस्तेमाल में प्रौद्योगिकी में तरक्की पर ध्यान दे रही है। एनएमएल उन सात संस्थानों में से एक है जिन्हें खान मंत्रालय राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन के तहत उत्कृष्टता का केंद्र के तौर पर मान्यता मिली है। 


    इस्पात अनुसंधान में आगे है एनएमएल

    प्रयोगशाला इस्पात अनुसंधान में सबसे आगे है और उद्योगों के साथ मिलकर इस्पात बनाने की प्रौद्योगिकियों को विकासशील कर रही है। सीएसआइआर-एनएमएल मोटर वाहन उद्योग की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए उन्नत स्टील ग्रेड, रक्षा अनुप्रयोगों के लिए कवच ग्रेड स्टील, अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए सुपरमार्टेंसिटिक स्टील, क्रशर अनुप्रयोगों के लिए हैडफील्ड स्टील, आयल और गैस उद्योगों के लिए बेहतर हाइड्रोजन एम्बैटलमेंट रेजिस्टेंस वाला एपीआइ स्टील विकसित कर रही है।

    प्रयोगशाला अलग-अलग अनुप्रयोगों के लिए विद्युत इस्पात का विकास कर रही है। प्रयोगशाला के पास भारत की रणनीतिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भारतीय स्टील बनाने वाली उद्योगों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक व्यापक इस्पात अनुसंधान पोर्टफोलियो है।

    एनएमएल अलग-अलग उद्योगों की जरूरत को पूरा करने वाले नॉन-फेरस एलाय बनाने का काम करती है। प्रयोगशाला ने आटोमोटिव अनुप्रयोग के लिए अच्छी संयोज्यता वाले संक्षारण प्रतिरोध एलाय, ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइन कंडक्टर के लिए उच्च तापमान कम शिथिलता एआइ कंडक्टर वायर, उच्च ऊर्जा घनत्व एल्यूमीनियम एयर बैटरी के लिए एक कुशल एनोड सामग्री के तौर पर माइक्रोएलायड संक्षारण प्रतिरोध एआइ एलाय विकसित किए हैं।

    प्रयोगशाला एआइ-एयर बैटरी के लिए एफिशिएंट एनोड सामग्री विकसित कर रही है ताकि एनोड के अपने आप जंग लगने की प्रक्रिया को कम किया जा सके और साथ ही उच्च शक्ति और धारा-घनत्व भी मिल सके। 

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    सीएसआइआर-एमएमएल में जानकारी एकत्र करते उद्योगपति जेआरडी टाटा।

    औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन से उद्यमिता व रोजगार को मिल रहा बढ़ावा

    सीएसआइआर-एनएमएल कई तरह के औद्योगिक अपशिष्ट के अलोरीकरण में सक्रिय रूप से शामिल है, जो मुख्य रूप से कीमती धातुएं, संसाधनों का इस्तेमाल और पर्यावरण के अनुकूल प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियां का विकास करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। प्रयोगशाला वृत्ताकार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए अपशिष्ट मूल्यांकन के लिए सस्टेनेबल और स्वदेशी प्रौद्योगिकियों को विकसित कर रही है।

    इनमें से कई प्रौद्योगिकियों को भारतीय उद्योगों और एमएसएमई को स्थानांतरित की गई हैं, जिससे पुनर्चक्रण क्षेत्र में उद्यमशीलता और रोजगार को बढ़ावा मिला है। प्रयोगशाला का मकसद प्रदूषण की समस्याओं का आर्थिक समाधान देना है।

     

    जंग प्रतिरोधी कोटिंग प्रौद्योगिकी का केंद्र बना

    सीएसआइआर-एनएमएल ने संक्षारण विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में, खासकर औद्योगिक समस्या-समाधान, सामग्री विकास और राष्ट्रीय संक्षारण मानचित्र बनाने में अहम योगदान दिया है।

    प्रयोगशाला का आधारभूत संरचना और बहुत ज्यादा संक्षारक वातावरण के लिए कोटिंग्स, उच्च तापमान कोटिंग्स और सूक्ष्म संरचना, कटाव और संक्षारण प्रतिरोधी और आटोमोबाइल और रेल के लिए उच्च प्रदर्शन वाले जस्ता और कलर जिंक कोटिंग विकसित करने के लिए उत्कृष्टता केंद्र बना रही है। 

     

    रक्षा, अंतरिक्ष एवं अन्य रणनीतिक क्षेत्र में योगदान

    सीएसआईआर-एनएमएल ने रणनीतिक क्षेत्रों में कई योगदान दिए हैं। स्क्रैप से टंगस्टन निकालना, लो-ग्रेड टेलिंग्स, रेडियोएक्टिव वेस्ट को स्थिर करने के लिए जियोपालिमर सीमेंट का विकास किया गया है।

     वायु सेना और अन्य रक्षा संगठन के महत्वपूर्ण परिसंपत्तियों का विफलता विश्लेषण, अंतरिक्ष यान पर कार्यकाल का पता लगाना के लिए प्रौद्योगिकी का विकास आदि। प्रयोगशाला रेलवे, पेट्रोकेमिकल्स, केमिकल्स, पावर और रणनीतिक क्षेत्रों सहित अलग-अलग क्षेत्रों के लिए आरएलए अध्ययन, विफलता जांच और मूल कारण विश्लेषण कर रही है।

    विकार्बनीकरण और ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में भारत की यात्रा में ग्रीन हाइड्रोजन का महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है। उत्पादन और व्यापार में गुणवत्ता, स्थिरता और सुरक्षा को पक्का करने के लिए, मजबूत गुणवत्ता और प्रदर्शन परीक्षण सुविधाएं प्रदान करना राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का एक जरूरी हिस्सा होगा।

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    बर्मामाइंस में स्थापित वर्ष 1950 का एनएमएल भवन।

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    आज का एनएमएल, जो प्लेटिनम जुबिली समारोह के तैयार हो रहा।

    उद्योग एवं शैक्षणिक संस्थाओं से मिलकर एनएमएल अब एक नए मुकाम पर खड़ा है। कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर कार्य पूरे हो चुके हैं। उद्योग से चलने वाले परियोजना और व्यावसायीकरण के लिए प्रौद्योगिकियां का सफलतापूर्वक स्थानांतरण एनएमएल कर रही है। इसे आगे और ले जाने की जरूरत है।

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    डा. संदीप घोष चौधरी, निदेशक, सीएसआइआर-एनएमएल