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कोरोना से लड़ने कलम के सिपाहियों ने पकड़ी सिलाई मशीन

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए मुसाबनी के कई सरकारी शिक्षक कलम छोड़ सिलाई मशीन के जरिये फेस मास्क बनाने में दिन रात जुटे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 12:57 AM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 06:21 AM (IST)
कोरोना से लड़ने कलम के सिपाहियों ने पकड़ी सिलाई मशीन
कोरोना से लड़ने कलम के सिपाहियों ने पकड़ी सिलाई मशीन

मुरारी प्रसाद सिंह, मुसाबनी

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कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए मुसाबनी के कई सरकारी शिक्षक कलम छोड़ सिलाई मशीन के जरिये फेस मास्क बनाने में दिन रात जुटे हैं। ताकि अधिक से अधिक जरूरतमंद लोगों को मास्क मुहैया कराया जा सके। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के मुसाबनी प्रखंड अध्यक्ष सह उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय तालाडीह सुरदा के प्रभारी प्रधानाध्यापक राज कुमार रोशन के नेतृत्व में शिक्षक सुजीत कुमार कर्ण, सुरेंद्र प्रसाद, प्रदीप कुमार महतो, दिनेश मालाकार, अंबर सिंह, धनंजय कुमार, बसंत लाल, कुलानंद अरगरिया, अरुण कुमार आदि लॉक डाउन में कलम छोड़कर सिलाई मशीन पर बैठ मास्क बनाने में जुटे हुए हैं। इन शिक्षकों ने मुसाबनी थाना प्रभारी को 550 पीस मास्क जरूरतमंदों के बीच बांटने के लिए प्रदान किया।

शिक्षकों द्वारा कपड़े से तैयार एंटी कोरोना फेस मास्क लोगों को खूब पसंद आ रहा है। इसे लोगों के बीच निश्शुल्क बांटा जा रहा है। शिक्षक इसे सिलाई करके घर पर ही तैयार कर रहे हैं। बाजार में जहां मास्क की किल्लत नजर आ रही है वहीं कई स्टोर पर महंगे दामों में बेचे जाने की भी शिकायतें सामने आ रही हैं। ऐसे में शिक्षकों द्वारा घर पर मास्क तैयार कर फ्री में लोगों तक पहुंचाए जाने की लोग सराहना कर हैं। कोरोना की बीमारी देश व दुनिया में फैलने के बाद फेस मास्क की मांग तेजी से बढ़ी है। मांग के अनुरूप पूर्ति कम होने से कीमतों में उछाल आया है। आलम यह है कि एक रुपये में मिलने वाला यूज एंड थ्रो मास्क आठ से 10 रुपये में बिक रहा है। जबकि शिक्षकों की ओर से निश्शुल्क एंटी कोरोना फेस मास्क बनाया जा रहा है। जिसे धुलकर फिर से प्रयोग किया जा सकता है।

इस तरह तैयार हो रहा मास्क : फेस मास्क सामान्य रुमाल व अन्य कपड़ों से तैयार किया जा सकता है। शिक्षक ने बताया कि करीब 60 से 70 रुपये में एक मीटर तक सूती कपड़ा मिल जाता है, जिसमें करीब 40 फेस मास्क आसानी से तैयार हो रहें हैं। पट्टी में मास्क की कटिग करने के बाद बांधने के लिए कपड़े की स्ट्रिप या इलास्टिक लगाकर सिलाई कर दिया जाता है। इस तरह आधा घंटे के अंदर कई मास्क बनकर तैयार हो जाता है।

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कोट

शिक्षकों ने श्रमदान कर दो हजार से अधिक मास्क बनाने का संकल्प लिया है। जैसे-जैसे मास्क तैयार हो रहा है। प्रशासन के माध्यम से लोगों तक निश्शुल्क वितरण किया जा रहा है। लोग मास्क पसंद कर रहे हैं।

राजकुमार रोशन, अध्यक्ष, शिक्षक संघ


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