Terrorist Network: अर्शियान अली बंधुओं का ग्लासगो के हमलावरों से रिश्ता, जानिए उसके खूंखार कारनामे..
लौहनगरी जमशेदपुर का नाम एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के नक्शे पर उभर आया है। सीबीआइ के अनुरोध पर इंटरपोल ने शहर के मानगो इलाके के आजाद बस्ती निवासी सैयद अर्शियान उर्फ हैदर के खिलाफ रेड कार्नर नोटिस जारी किया है। अर्शियान पर आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के लिए आत्मघाती ड्रोन और छोटी दूरी की मिसाइलें डिजाइन करने जैसा गंभीर आरोप है।
जासं, जमशेदपुर। लौहनगरी जमशेदपुर का नाम एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के नक्शे पर उभर आया है, जिससे सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) के अनुरोध पर इंटरपोल ने शहर के मानगो इलाके के आजाद बस्ती निवासी सैयद अर्शियान उर्फ हैदर के खिलाफ रेड कार्नर नोटिस जारी किया है।
अर्शियान पर आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के लिए आत्मघाती ड्रोन और छोटी दूरी की मिसाइलें डिजाइन करने जैसा गंभीर आरोप है।
यह नोटिस ऐसे समय में आया है जब कुछ ही महीने पहले, मार्च में जमशेदपुर की अदालत ने 2016 के अलकायदा माड्यूल मामले में सबूतों के अभाव में ओडिशा के अब्दुल रहमान कटकी और जमशेदपुर के अब्दुल सामी समेत तीन आरोपियों को बरी कर दिया था।
आतंक का इंजीनियर है अर्शियान
लगभग 40 वर्षीय अर्शियान को आतंकवाद का इंजीनियर कहा जाता है। जांच एजेंसियों के अनुसार, उसने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में सऊदी अरब चला गया।
रिपोर्टों के मुताबिक, 2012 से 2015 के बीच सऊदी अरब के दम्माम में उसका घर जिहादी विचारधारा वाले भारतीय युवाओं के लिए एक केंद्र बन गया था। माना जा रहा है कि अर्शियान 2017 से तुर्किए में छिपा है।
वहीं से अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। उस पर अलकायदा और इस्लामिक स्टेट के लिए तकनीकी विशेषज्ञ के तौर पर काम करने और नेटवर्क को खतरनाक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप है।
अली बंधु और ग्लासगो हमलावरों से कनेक्शन
अर्शियान का भाई सैयद मोहम्मद जीशान अली हैदर भी आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहा है। उसे 10 अगस्त 2017 को सऊदी अरब से प्रत्यर्पित किए जाने के बाद दिल्ली में गिरफ्तार किया गया था।
इन दोनों भाइयों का रिश्ता ग्लासगो के हमलावर भाइयों कफील और सबील अहमद से है। जीशान अली का निकाह डा. सबील अहमद की बहन से हुआ है।
कफील अहमद 2007 में ग्लासगो हवाई अड्डे पर हुए आत्मघाती हमले में मारा गया था, जबकि उसके भाई डा. सबील को हमले की जानकारी छिपाने के आरोप में सजा हुई थी।
जमशेदपुर का मानगो, आतंक की पुरानी जड़ें
यह पहली बार नहीं है जब जमशेदपुर और खासकर इसका मानगो इलाका आतंक के गढ़ के रूप में सामने आया है। शहर में आतंकी मॉड्यूल की जड़ें काफी गहरी रही हैं।
2016 का अलकायदा माड्यूल : जनवरी 2016 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल से मिली जानकारी के आधार पर जमशेदपुर के बिष्टुपुर थाने में एक मामला दर्ज किया गया था। इसके तहत धतकीडीह से अहमद मसूद अकरम शेख उर्फ मोनू और मानगो से नसीम अख्तर उर्फ राजू को गिरफ्तार किया गया था।
पूछताछ में मोनू ने ओडिशा के अब्दुल रहमान कटकी और जमशेदपुर के अब्दुल सामी द्वारा युवाओं को अलकायदा के लिए भर्ती करने और जिहाद के लिए उकसाने की बात कबूली थी। कटकी और सामी को दिल्ली पुलिस ने दिसंबर 2015 और जनवरी 2016 में क्रमशः कटक और हरियाणा से गिरफ्तार किया था।
बरी हुए कटकी और सामी
हालांकि, दिल्ली की एक अदालत ने कटकी और सामी को फरवरी 2023 में यूएपीए के तहत दोषी ठहराया था, लेकिन जमशेदपुर की अदालत ने इसी साल मार्च में अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ ठोस सबूत पेश करने में विफल रहा और उन्हें बरी कर दिया। इस मामले में मानगो निवासी मौलाना कलीमुद्दीन को भी बरी किया गया, जिसे 2017 में टाटानगर स्टेशन से गिरफ्तार किया गया
और भी हुई हैं गिरफ्तारियां
2019 में झारखंड एटीएस ने मानगो के आजाद नगर निवासी मोहम्मद कलीमुद्दीन मुजाहिरी को टाटानगर स्टेशन से गिरफ्तार किया था। वह तीन साल से फरार था और उस पर युवाओं को जिहाद के लिए तैयार करने और पाकिस्तान में आतंकी प्रशिक्षण के लिए भेजने का आरोप था।
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