GE विषय की परीक्षा को लेकर फैलाया जा रहा भ्रम, कोल्हान विश्वविद्यालय ने सबकुछ किया क्लियर
कोल्हान विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि सीबीसीएस पद्धति के बाद ली गई परीक्षाएं और प्रमाण पत्र वैध हैं। यूजीसी गाइडलाइन के अनुसार विश्वविद्यालयों को पाठ्यक्रम में संशोधन का अधिकार है। जीई पेपर दो की विशेष परीक्षा अनिवार्य नहीं है यह छात्रों की आवश्यकतानुसार है। कुलपति प्रो. (डॉ.) अंजिला गुप्ता ने छात्र हित को प्राथमिकता दी है ताकि रोजगार में किसी को परेशानी न हो।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। जनरल इलेक्टिव (जीई) विषय पेपर दो की परीक्षा को लेकर छात्रों में उहापोह है। साथ ही इसे लेकर कई छात्रों एवं छात्र संगठनों द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है। यहां तक प्रमाण पत्रों की मान्यता पर भी सवाल उठा दिया जा रहा है।
ऐसे में इस पर शनिवार को कोल्हान विश्वविद्यालय ने अपनी स्थिति साफ कर दी है। विश्वविद्यालय की ओर से बताया गया कि कोल्हान विश्वविद्यालय में सीबीसीएस पद्धति लागू होने के पश्चात ली गई सारी परीक्षाएं और उससे संदर्भित दिए गए अंक पत्रों एवं प्रमाण पत्रों में कोई वैधानिक त्रुटि नहीं है।
ये सारी परीक्षाएं उस समय लागू रेगुलेशन के हिसाब से ही आयोजित की गई थी और झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों ने प्रायः ऐसा ही किया था। चाहे सीबीसीएस लागू होने के समय बनाए गए रेगुलेशन हो यानि 2017 का रेगुलेशन या फिर 2020 का पुनरीक्षित रेगुलेशन दोनों में जीई के लिए एक ही पेपर का प्रावधान किया गया था।
यह भी स्पष्ट करना आवश्यक है कि यूजीसी जब अपना गाइडलाइन जारी करती है तो वह गाइडलाइन शैक्षणिक नियमावलियों के संबंध में प्रायः सलाह के रूप में हुआ करती है। जिसमें आवश्यकता अनुसार 20 प्रतिशत तक संशोधन का विकल्प रहता है।
उसी आधार पर सभी विश्वविद्यालय अपना पाठ्यक्रम अपने एकेडमिक काउंसिल के माध्यम से तय करते हैं और यह स्वायत व्यवस्था है ।
इस संबंध में जानकारी देते हुए कोल्हान विश्वविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. एस के झा ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा प्रदत्त उपाधियों का इसी आधार पर मूल्यांकन किया जाता है कि वह यूजीसी द्वारा मान्य संस्थान है या नहीं है।
इसलिए किसी भी छात्र को जिसने कोल्हान विश्वविद्यालय से परीक्षाएं दी है और उन्होंने अपना प्रमाण पत्र प्राप्त किया है को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। वर्तमान में जो जीई पेपर दो के लिए परीक्षा लेने की घोषणा की गई है यह अनिवार्य स्वरूप में नहीं है।
अगर किसी खास संस्थान या नौकरी विशेष के क्रम में किसी छात्र-छात्राओं को समस्याएं होती है जो परीक्षा में बैठ सकते हैं और जरूरत पड़ने पर उनके प्रमाण पत्रों का वेरिफिकेशन विश्वविद्यालय द्वारा सम्यक रूप से किया जाएगा।
इससे किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होगी। यूजीसी द्वारा जारी रेगुलेशन के अनुरूप ही परीक्षाएं ली गई थी, इसलिए परीक्षाओं के वैधता पर कोई समस्या नहीं है।
विशेष परीक्षा के बाद अलग से मिलेगा पूरक अंक पत्र
कोल्हान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) अंजिला गुप्ता ने किसी भी विद्यार्थी को कहीं पर कठिनाई न हो इस बात को ध्यान में रखकर परीक्षा के आयोजन का निर्देश दिया है और यह पूर्ण रूप से विद्यार्थियों पर निर्भर करता है कि अगर वह चाहे तो परीक्षा में भाग ले सकते हैं।
अलग से पूरक अंक पत्र उनके पास होगा। झारखंड सरकार के कुछ विभागों में रोजगार प्राप्त होने के बाद कुछ छात्रों से इससे संदर्भित प्रश्न पूछे जाने के कारण ही विशेष परीक्षा का निर्देश दिया गया है, जो अनिवार्य नहीं है।
नई शिक्षा नीति अर्थात एनईपी में भी विद्यार्थी एसोसिएटेड पेपर के रूप में एक ही पत्र की पढ़ाई करते हैं। जीई पत्र की विशेष परीक्षा लेने के संबंध में विश्वविद्यालय ने 8 अगस्त को पत्रांक संख्या 1080 के द्वारा सभी बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट कर दी है।
महाविद्यालय परित्याग प्रमाण पत्र और माइग्रेशन ले चुके विद्यार्थी भी अगर परीक्षा में बैठना चाहते हैं उन्हें भी कोई समस्या नहीं होगी इसके संदर्भ में कुलपति ने आवश्यक निर्देश परीक्षा विभाग को दे रखा है। उन्होंने निर्देश दिया है कि छात्र हित को सर्वोपरि मानकर ही सारी व्यवस्थाएं पूर्ण की जाए।
कोल्हान विश्वविद्यालय द्वारा आज तक ली गई सभी परीक्षाएं वैध है और नियमानुकूल ही ली गई है। कुछ विशेष क्षेत्र के एजेंसियों द्वारा विद्यार्थियों से जीई से संदर्भित प्रश्न पूछे जाने के कारण छात्र हित में इस प्रकार का निर्णय लिया गया है। परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थियों को किसी प्रकार की समस्या ना हो इस पर ध्यान रखने के लिए समुचित निर्देश दे दिया गया है। विश्वविद्यालय के लिए छात्र हित सर्वोपरि है। - प्रो. (डॉ.) अंजिला गुप्ता, कुलपति, कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा
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