बैंक में क्लेम फार्म ही नहीं तो कैसे हो दावा, जानिए एटीएम कार्ड पर बीमा की हकीकत
बैंकों के एटीएम कार्ड होल्डर के दुर्घटना बीमा के नियम की सच्चाई आपको हलकान कर सकती है। बैंकों के पास क्लेम फार्म हैं ही नहीं तो क्लेम कैसे हो।
जमशेदपुर, जेएनएन। नियम बनना और नियम का लागू होना अलग - अलग बात है। हालांकि, दोनों में अन्योन्याश्रय संबंध हैं। नियम अमल में ही नहीं आए तो इसके बनने का क्या फायदा। बैंकों के एटीएम कार्ड होल्डर के दुर्घटना बीमा के नियम की सच्चाई आपको हलकान कर सकती है। कार्डधारक की मौत के बाद बीमा रकम हासिल करना आश्रितों के लिए टेढी खीर होती है। पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर के इस मामले में हकीकत यही है कि बैंकों के पास क्लेम फार्म हैं ही नहीं तो क्लेम कैसे हो।
बिरसानगर इलाके की आभा देवी अपने पति की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद पति के एटीएम कार्डधारी होने के नाते बीमा का लाभ प्राप्त करने के लिए हर दिन बैंक का चक्कर काटने को विवश है। चालीस दिन बीत चुके हैं लेकिन आजतक बीमा राशि तो दूर क्लेम फार्म तक नसीब नहीं हुआ है। बैंक ऑफ इंडिया टेल्को ब्रांच के पास क्लेम फार्म ही उपलब्ध नहीं है। मैनेजर ने महिला को बताया कि बिष्टुपुर स्थित जोनल ऑफिस हर दिन फोन करते हैं। वहां फार्म देने वाला कर्मचारी छुट्टी पर है, इसलिए फार्म नहीं मिल पा रहा है। जब यह पूछा गया कि फार्म कब मिलेगा ? तो जवाब और भी चौंकाने वाला मिला। उन्होंने कहा कि जब कर्मचारी छुट्टी से लौटकर आएगा तो मिल जाएगा। कर्मचारी छुटी से कब आएगा तो जवाब मिला कि ये वे कैसे बता सकते हैं। इधर, आभा देवी हर उस चौखट पर अपनी फरियाद लेकर जा रही है जहां से उम्मीद होती है। कोई तो फरियाद सुनेगा और मदद के लिए आगे आएगा। लेकिन आश्वासन के सिवाय अबतक कुछ भी हासिल नहीं हुआ है।
15 अक्तूबर को सड़क दुर्घटना में हुई थी मौत
पत्नी और बेटे के साथ अवधेश कुमार सिंह की फाइल फोटो
बिरसानगर जोन नंबर 1 निवासी अवधेश कुमार सिंह अपने परिवार के साथ स्कूटी से दुर्गा पूजा मेला घूमने निकले थे। बिष्टुपुर तलवार बिल्डिंग के पास एक स्कार्पियो ने जोरदार टक्कर मार दी थी। जिसमें अवधेश कुमार सिंह की मौत हो गई थी। जबकि उनकी पत्नी आभा देवी के दोनों कंधे टूट गए थे और उनके छोटे बेटे रीतिक का हाथ टूट गया था। इस संबंध में बिष्टुपुर थाने में आइपीसी की धारा 279, 337, 338, 304 ए के तहत मामला दर्ज किया गया था।
एटीएम बनते ही हो जाता है पांच लाख का बीमा
एटीएम कार्ड बनते ही कार्डधारक का पांच लाख का बीमा हो जाता है। बैंक अपने कार्ड धारक को एक लाख से पांच लाख तक का दुर्घटना बीमा मुहैया कराता है। एटीएम का उपयोग करने के 45 दिनों के बाद अगर धारक की दुर्घटना में मौत हो जाती है तो वह बीमा के पैसे का हकदार होता है।
क्या है दावा करने का तरीका
बीमा का दावा करने के लिए, जैसे ही संबंधित व्यक्ति की दुर्घटना होती हैं, आपको पुलिस को दुर्घटना के बारे में सूचित करना होगा। अगर व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, तो उसके सभी मेडिकल दस्तावेज रखने की जरूरत है, इस तरह के मामले में दुर्घटना में मृत व्यक्ति की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, पुलिस रिपोर्ट, मृत्यु प्रमाण पत्र और वैध ड्राइविंग लाइसेंस होना आवश्यक है।
दावा करने पर दी जाती है बीमा राशि
बैंक अधिकारी व्यस्त होने की वजह से बीमा की जानकारी नहीं दे पाते। जो लोग बीमा का दावा करते हैं उन्हें राशि दी जाती है। बीमा का दावा करने वालों की संख्या के बारे में बीमा कंपनियां ही बता सकती हैं।
फाल्गुनी राय, एलडीएम, पूर्वी सिंहभूम
बैंकों के एटीएम कार्ड में बीमा की राशि
एसबीआइ : 2 लाख से 20 लाख
आईसीआईसीआई : बैंक 5 लाख से 3 करोड़, पीएनबी : 1 लाख
आइडीबीआइ : 1 लाख से 5 लाख
कैनरा बैंक : 1 लाख
बैंक ऑफ बड़ौदा : 1 लाख से 2 लाख
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