बाघ के खौफ से तीर-धनुष लेकर स्कूल पहुंच रहे बच्चे, अभिभावक कर रहे पहरेदारी
घाटशिला के गांव में बाघिन के खौफ का आलम यह है कि बच्चे आत्मरक्षार्थ तीर-धनुष लेकर स्कूल पहुंचे रहे हैं तो अभिभावक स्कूल के वक्त तीर-धनुष लेकर स्कूल में पहरेदारी कर रहे हैं।
गालूडीह (पूर्वी सिंहभूम), जेएनएन। झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला वन क्षेत्र के गांवों में इन दिनों अजीबोगरीब हालात बने हैं। यहां बाघिन की उपस्थिति की आशंका से दहशत का माहौल है। आलम यह है कि बच्चे आत्मरक्षार्थ तीर-धनुष लेकर स्कूल पहुंचे रहे हैं तो अभिभावक स्कूल के वक्त तीर-धनुष लेकर स्कूल में पहरेदारी कर रहे हैं।
मकर के बाद शुक्रवार को स्कूल खुलने पर अभिभावकों ने बच्चों को तीर -घनुष देकर स्कूल भेजा था , लेकिन इससे भी सुरक्षा की चिंता कम नहीं हुई तो शनिवार को मिर्गीटांड़ गांव के कई अभिभावक स्वयं तीर-धनुष एवं लाठी लेकर अपने बच्चों के साथ स्कूल पहुंच गए। बच्चे पढ़ाई कर रहे थे और अभिभावक उस दौरान हथियार लेकर बच्चों के लिए स्कूल के बाहर तैनात रहे।
दो घंटे में ही स्कूल में छुट्टी
बाघिन आने की दहशत के कारण बीहड़ गांव मिर्गीटांड़ और फूलझोर के स्कूल में महज दो घंटे में ही छुट्टी कर दी जा रही है। ग्रामीण राजजीत टुडू, लुसु किस्कू,सिंधु हेम्ब्रम कहते हैं कि हमारा गांव दो पहाड़ों के बीच घने जंगलों में बसा है। गांव के प्राथमिक विद्यालय पहाड़ से सटे हैं। ऐसे में बच्चे पढ़ाई से वंचित न हो इसलिए स्कूल भी भेजना जरूरी है, लेकिन बच्चों के हाथों में हथियार देकर हम निश्चिंत नहीं रह पा रहे हैं। इसलिए अपने बच्चों की रक्षा के लिए स्कूल चलने के दौरान हम स्वयं अपने बच्चों की सुरक्षा कर रहे हैं।
शिक्षक भी हथियार लेकर पहुंच रहे स्कूल
बाघिन का खौप। दूर से आने वाले शिक्षकों में भी हैा। मिर्गीटांड़ नव प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक बंकिम महतो फूलझोर गांव से आते हैं। स्कूल खुलने के बाद शिक्षक बंकिम महतो अपनी बाइक में सुरक्षा के लिए कुल्हाड़ी लेकर स्कूल पहुंच रहे हैं। बाघिन आने की सूचना से पूर्व शिक्षक अपने गांव के जंगल के रास्ते से 6 किलोमीटर की दूरी तय कर स्कूल आते थे। लेकिन बाघिन की दहशत के कारण शिक्षक बंकिम महतो बंगाल की सड़क से 20 किमी दूरी तय कर स्कूल आ रहे हैं। सुरक्षा के लिए साथ में लाते हैं कुल्हाड़ी।