छात्रा पर बर्बरता के बाद जागा बाल आयोग, निष्पक्ष जांच का आश्वासन और बाल-हितैषी झारखंड बनाने की पहल
पटमदा में कस्तुरबा की छात्रा पर शारीरिक दंड पर बाल अधिकार आयोग की कार्रवाई। आयोग सदस्य जांच को पहुंचे एमजीएम। अधिकारी ने निष्पक्ष जांच और बाल-मित्रवत वातावरण पर जोर दिया। यह घटना शिक्षा के अधिकार और बाल संरक्षण के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है जिसके कारण आयोग ने मामले की गंभीरता को समझते हुए त्वरित कदम उठाए हैं।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। झारखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पटमदा स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की एक छात्रा के साथ हुई शारीरिक दंड की गंभीर घटना पर तत्काल संज्ञान लिया है।
आयोग के सदस्य विकास दोदराजका ने बुधवार को एमजीएम अस्पताल पहुंचकर पीड़िता से मुलाकात की, जहां वह घटना के बाद से भर्ती है। यह घटना शिक्षा के अधिकार और बाल संरक्षण के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है, जिसके कारण आयोग ने मामले की गंभीरता को समझते हुए त्वरित कदम उठाए हैं।
दोदराजका ने न केवल छात्रा और उसके चिंतित माता-पिता से बातचीत की, बल्कि अस्पताल के डॉक्टरों से भी विस्तृत जानकारी ली ताकि छात्रा की शारीरिक और मानसिक स्थिति को समझा जा सके।
इस मुलाकात के दौरान बाल कल्याण समिति (CWC) के सदस्य रूबी साहू और जुझार सोरेन, साथ ही जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी (DCPO) प्रेम प्रकाश भी मौजूद थे, जो यह दर्शाता है कि विभिन्न बाल संरक्षण एजेंसियां इस मामले में मिलकर काम कर रही हैं।
दोदराजका ने सभी संबंधित अधिकारियों को पीड़िता को हर संभव सहायता प्रदान करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच हो, ताकि दोषी व्यक्तियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके।
इस संबंध में विकास दोदराजका ने उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी से भी मुलाकात की और इस घटना के संबंध में अब तक की गई प्रशासनिक कार्रवाइयों की जानकारी ली। इस बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया।
जिले को बाल-अनुकूल बनाने के लिए सभी संबंधित संस्थानों जैसे शिक्षा विभाग, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और बाल कल्याण समितियों के बीच समन्वय बढ़ाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, किशोर न्याय प्रणाली (Juvenile Justice System) के बारे में समझ बढ़ाने के लिए नियमित रूप से कार्यशालाएं की जाएंगी।
यह कदम सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और बच्चों को सुरक्षित तथा सम्मानजनक वातावरण मिल सके।
आयोग का यह हस्तक्षेप यह स्पष्ट करता है कि बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
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