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    एसिडिटी से जल रहा सीना, दवा से किडनी हो रही फेल

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    Updated: Sat, 19 May 2018 01:12 PM (IST)

    भागदौड़ की जिंदगी में लोग एसिडिटी से परेशान हो उठे है। विभिन्न दवाओं से किडनी भी फेल हो रही है। ...और पढ़ें

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    एसिडिटी से जल रहा सीना, दवा से किडनी हो रही फेल

    जमशेद, पुरअमित तिवारी। भागदौड़ की जिंदगी में एसिडिटी बहुत बड़ी समस्या बन गई है। इसका मुख्य कारण देर रात तक जगना, देर से डिनर करना, समय पर नाश्ता नहीं करना, लेट नाइट पार्टी, ड्रिंकिंग और स्मोकिंग, ज्यादा ऑयली या जंक फूड खाना व पूरी नींद नहीं होना आदि है। चिंता का विषय यह है कि जमशेदपुर के करीब 80 फीसद लोगों की दिनचर्या करीब-करीब यहीं हो गई है। इससे एसिडिटी की समस्या तेजी से पांव पसार रही है। स्थिति अगर यहीं रही तो जल्द ही विकराल रूप ले लेगी।

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    महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के फिजिशियन डॉ. अनुकरण पूर्ति ने बताया कि अगर इस समस्या को नजरअंदाज किया गया तो पेप्टिक अल्सर और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है। शहर का आंकड़ा देखा जाए तो करीब 20 से 25 फीसद लोग एसिडिटी की चपेट में आ चुके हैं। दस साल पहले यह समस्या करीब आठ से 10 फीसद लोगों में थी। मरीजों की बढ़ती संख्या डराने वाली है। इसमें युवा वर्ग भी शामिल हैं। 20 वर्ष की उम्र के बाद से लोगों में एसिडिटी की समस्या बढ़ने लगी है।

    डॉ. अनुकरण पूर्ति ने बताया कि भागदौड़ की जिंदगी में लोगों के पास न सोने का समय है और न खाने का। पूरी दिनचर्या बदल गई है। सोने के समय में जगना, खाने के समय में नाश्ता करना और पौष्टिक भोजन की जगह जंक फूड का सेवन आदत व मजबूरी दोनों है। ऐसे में एसिडिटी ही नहीं और भी कई तरह की बीमारियां जड़ फैला रही हैं। 95 हजार की दवा हर माह खाते हैं मरीज औषधि विभाग के अनुसार, जिले में करीब 500 डिस्ट्रीब्यूटर्स व 900 दवा दुकानें हैं। प्रतिमाह दवा का कारोबार करीब 65-70 करोड़ रुपये है। इसमें 95 हजार की दवा एसिडिटी के मरीज खाते हैं।

    60 फीसद लोग दवा खरीदकर खुद ही खा लेते हैं अक्सर जब हमारी तबीयत खराब होती है तो हम डॉक्टर के पास न जाकर सीधे दवा दुकान में पहुंच जाते हैं और दवा खरीदकर खा लेते हैं। ऐसे लोगों की संख्या करीब 60 फीसद है। इसमें आठ से 10 फीसद एसिडिटी के मरीज शामिल होते हैं। इन मरीजों को दुकानदारों द्वारा बिना सोचे-समझे एंटासिड दवा, रेनिटिडिन-150एमजी, फॉमाटिडाइन-40 एमजी जैसी अन्य दवाएं निकालकर दे दी जाती है। रोगी नहीं जानते हैं कि ये गोलियां आपकी किडनी को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती हैं। एसिडिटी की दवा का ज्यादा इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है। इन दवाओं को लंबे समय तक खाने से किडनी खराब हो सकती है। समस्या यह है कि लोग बिना डॉक्टर की सलाह के ही ये दवाएं लेते हैं। कई दवाओं के साइड इफेक्ट से भी एसिडिटी होती है। एसिडिटी की दवा से खून पर असर पड़ता है। खून में मैग्नीशियम की कमी हो जाती है। इससे किडनी पर गलत असर पड़ सकता है। एसिडिटी होने पर बेचैनी होने लगती है। ऐसे में एसिडिटी की दवा लेना जरूरी हो जाता है लेकिन इसके लिए डॉक्टर की सलाह जरूरी लेनी चाहिए।

    -95 हजार रुपये की दवा हर माह खा रहे शहर के लोग

    -25 फीसद शहर के निवासी एसिडिटी की चपेट में

    -10 साल पहले आठ से दस फीसद थे इसके रोगी

    -20 वर्ष की उम्र के बाद होने लगते एसिडिटी के रोगी

    एसिडिटी के लक्षण

    - पेट में जलन।

    - गले में जलन व बेचैनी।

    - तेज आवाज के साथ डकार आना।

    - उल्टी जैसा महसूस होना और खंट्टी डकारें आना। - अत्यधिक गैस पास होना।

    - गैस जमा होने से पेट फूल जाना।

    - जीभ पर सफेद परत जमा हो जाना।

    - सांस में बदबू आना।

    - मल में से तेज बदबू आना।

    - दस्त लगना और कब्ज होना।

    ये बरतें सावधानी

    - डॉक्टर की सलाह के बिना एसिडिटी की दवा नहीं लें।

    - डॉक्टर एसिडिटी की दवा लिखे तो पूछें, क्या दवा लेना जरूरी है? दवा कितने दिनों तक लेनी होगी, ये भी पूछें।

    - लंबे समय तक एसिडिटी की दवा नहीं लें।

    - पेट में सामान्य गैस बनने पर दवा नहीं लें।

    - बाहर खाने के बाद ये दवा नहीं लें।

    - आठ हफ्ते से ज्यादा एसिडिटी की दवा नहीं लें।

    एसिडिटी से बचने के उपाय

    - एसिडिटी से बचने के लिए स्वस्थ लाइफ स्टाइल अपनाएं।

    - ज्यादा मसालेदार खाना न खाएं।

    - गैस बनाने वाला खाना न खाएं।

    - कैफीन वाले ड्रिंक्स ना पीएं और ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं।

    - सुबह में नाश्ता, दोपहर में खाना, शाम में नाश्ता व रात में भोजन समय पर करें।

    - नींद पूरी लें। ज्यादा देर तक नहीं जगे।

    एसिडिटी की दवा अपने से बिल्कुल नहीं खाने चाहिए। लंबे समय तक दवा खाने से किडनी डैमेज होने की आशंका बनी रहती है। हाल ही में अत्याधिक दवा की वजह से एक मरीज का किडनी डैमेज हो गई। मरीज ग्रामीण क्षेत्र का है, उसका इलाज चल रहा है।

    - डॉ. सुजीत कुमार, किडनी रोग विशेषज्ञ, मेडिट्रिना हॉस्पिटल।