'जहां मंत्री को पानी के लिए धरना देना पड़े...', चम्पाई सोरेन ने हेमंत सरकार पर कसा तंज
पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने झारखंड सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में सिस्टम पूरी तरह से फेल हो चुका है। उन्होंने मउभंडार में कहा कि मंत्री को पानी के लिए धरना देना पड़ रहा है जिससे प्रदेश की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। सोरेन ने गठबंधन सरकार पर जनादेश का अपमान करने का आरोप लगाया।

संवाद सूत्र, घाटशिला। जहां झारखंड सरकार के मंत्री को पानी के लिए धरना देना पड़े तो सोचिए प्रदेश का क्या हाल होगा। मैं सरकार पर कोई आरोप नहीं लगा रहा, स्थिति जनता के सामने हैं।
सरकार का पूरा सिस्टम फेल हो चुका है। सरकार में सभी लोग मालिक ही बने बैठे हैं। प्रदेश के वित्त मंत्री खुद कह रहे बहुत से विभागों ने कोई काम शुरू नहीं किया। इधर एक ग्रामीण विकास विभाग की मंत्री अपने विधानसभा क्षेत्र में पानी के लिए धरना पर बैठी है, ये तो राज्य की स्थिति है।
उक्त बातें रविवार को मउभंडार में एचसीएल के डायरेक्टर बंगाल में पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा नेता चम्पाई सोरेन ने कही।
सरकार पर ली चुटकी
चम्पाई सोरेन ने इशारों ही इशारों में राज्य सरकार के कार्यकाल पर चुटकी ली। उन्होंने कहा की गठबंधन सरकार को जनादेश मिला है अच्छा काम करने के लिए। जनादेश का अपमान नहीं करना चाहिए।
उन्होंने चुनाव से पूर्व जो कहा था उसे पूरा करना चाहिए। कोई भी योजना समय पर ना तो शुरू हो रही है ना ही अंत हो रही। अबतक गठबंधन की सरकार ने जनता की उम्मीदों के अनुरूप काम नहीं किया।
चम्पाई सोरेने ने कहा कि प्रदेश में फर्जी तरीके से मंईयां सम्मान योजना का लाभ लिया जा रहा। चाकुलिया में एक वर्ग के लोगों के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बने। ये इस राज्य के लिए दुर्भाग्य की बात है। डेमोग्राफी हर जगह बदलते जा रहे।
साधारण कार्यकर्ता के रूप में कर रहा सेवा
चम्पाई सोरेन ने कहा की भाजपा में एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में सेवा कर रहा हूं। जिस पार्टी को मैंने खून पसीने से सींचकर बनाया था वहां अपमान बर्दाश्त ना करके वहां से निकल आया। मैं ये बोलकर निकला था की उस घर से एक ईंट भी लेकर नहीं जाउंगा।
मैंने जनता की सेवा व उनके अधिकारों को लेकर कई संघर्ष किया। आज उसी संघर्ष की राह पर चलकर जनता की सेवा में लगा हूं। वे लोग क्रांतिकारियों के वंशज के नाम पर राजनीति करते है, लेकिन आजतक कुछ नहीं दिया। सम्मान देने के बजाय लाठी चलाया गया।
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