स्तन कैंसर जागरूकता माह : स्तन कैंसर, अब डरने की नहीं, लड़ने की है बारी
स्तन कैंसर जागरूकता माह में, यह समझना ज़रूरी है कि स्तन कैंसर से डरने की नहीं, बल्कि लड़ने की ज़रूरत है। आधुनिक चिकित्सा में इसके उपचार के कई प्रभावी तरीके उपलब्ध हैं। जागरूकता और शीघ्र निदान से इस बीमारी को हराया जा सकता है। सकारात्मक दृष्टिकोण और सही उपचार से महिलाएं इस बीमारी को हरा सकती हैं।

डा. संघमित्रा जेना
जासं, जमशेदपुर : अक्टूबर माह को पूरी दुनिया में स्तन कैंसर जागरूकता माह के तौर पर मनाया जाता है। इसका मकसद महिलाओं को इस गंभीर बीमारी के प्रति सचेत करना और उन्हें इसके लक्षणों को पहचानने के लिए प्रोत्साहित करना है। टाटा मेन हास्पिटल (टीएमएच) के सर्जिकल आंकोलाजी विभाग की प्रभारी और सलाहकार, डा. संघमित्रा जेना का कहना है कि स्तन कैंसर को लेकर समाज में फैले डर को खत्म कर जागरूकता फैलाना समय की मांग है। उनका मानना है कि अगर सही समय पर बीमारी का पता चल जाए, तो आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों से इसका सफल इलाज पूरी तरह संभव है।
बढ़ते मामले और शुरुआती पहचान की अहमियत:
डा. संघमित्रा के अनुसार, भारत में महिलाओं में होने वाले कैंसर में स्तन कैंसर सबसे आम है। चिंता की बात यह है कि जागरूकता की कमी के कारण ज्यादातर मामले एडवांस स्टेज में सामने आते हैं, जिससे इलाज जटिल हो जाता है। डा. जेना जोर देकर कहती हैं, अगर महिलाएं अपने शरीर में होने वाले बदलावों के प्रति सजग रहें और नियमित जांच कराएं, तो इस बीमारी पर आसानी से विजय पाई जा सकती है। शुरुआती पहचान न केवल इलाज की सफलता दर को बढ़ाती है, बल्कि कई मामलों में पूरे स्तन को निकालने की जरूरत भी नहीं पड़ती, जिससे मरीज का आत्मविश्वास बना रहता है।
इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज :
डा. जेना के अनुसार, स्तन में या बगल में किसी तरह की गांठ का उभरना, स्तन के आकार या स्वरूप में बदलाव आना, निप्पल का अंदर की ओर धंसना या उससे किसी प्रकार का तरल पदार्थ निकलना, स्तन की त्वचा का लाल होना या संतरे के छिलके जैसा दिखना जैसे लक्षण खतरे की घंटी हो सकते हैं। हालांकि, हर गांठ कैंसर नहीं होती, लेकिन कोई भी असामान्य लक्षण दिखने पर विशेषज्ञ डाक्टर से तुरंत संपर्क करना बेहद जरूरी है। 40 साल की उम्र के बाद महिलाओं को साल में एक बार मैमोग्राफी कराने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह उन छोटी गांठों का भी पता लगा सकती है, जो हाथ से महसूस नहीं होतीं।
आधुनिक उपचार से बढ़ी उम्मीद की किरण:
चिकित्सा विज्ञान में हुई प्रगति ने स्तन कैंसर के इलाज में क्रांति ला दी है। डा. जेना बताती हैं कि अब ब्रेस्ट कंजर्वेशन सर्जरी (स्तन संरक्षण सर्जरी) जैसी तकनीक उपलब्ध है, जिसमें सिर्फ कैंसर वाले हिस्से को निकालकर स्तन को सुरक्षित रखा जाता है। इस सर्जरी के बाद रेडिएशन थेरेपी दी जाती है, ताकि बची हुई कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जा सके। यह प्रक्रिया महिलाओं को मनोवैज्ञानिक रूप से भी मजबूत बनाती है। इसके अलावा, कीमोथेरेपी, हार्मोनल थेरेपी और टारगेटेड थेरेपी जैसे उन्नत उपचार विकल्प भी मौजूद हैं, जिन्हें मरीज की जरूरत के अनुसार इस्तेमाल किया जाता है।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, खतरा घटाएं:
स्तन कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे बदलती जीवनशैली भी एक प्रमुख कारण है। डा. जेना के अनुसार, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, वजन पर नियंत्रण और नशे से दूरी बनाकर इसके खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इस जागरूकता माह का संदेश स्पष्ट है—डरें नहीं, लड़ें। जानकारी, सतर्कता और समय पर इलाज से इस गंभीर बीमारी पर जीत हासिल की जा सकती है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।