Jamshedpur News: बोचहां उपचुनाव में विरोधियों को मात देने वाले अमर पासवान का जमशेदपुर से है खास नाता
Jamshedpur News बोचहां से राजद के विधायक बने अमर कुमार पासवान जमशेदपुर में रहे हैं। यहां उनका ससुराल तो है ही पढ़ाई भी की थी। बारीडीह बस्ती निवासी अमर पासवान के मित्र अंगद राज ने बताया कि अमर मानगो के संकोसाई में अपने जीजा रामाकांत पासवान के साथ रहते थे।

जमशेदपुर, जासं। बिहार के मुजफ्फर जिला स्थित बोचहां में विधानसभा उपचुनाव का परिणाम शनिवार को आया था, जिसमें राजद के टिकट पर अमर कुमार पासवान रिकार्ड 36,653 वोट से जीते। इस खबर से सिर्फ राजद नेता तेजस्वी यादव और बोचहां की जनता खुश नहीं हुई, जमशेदपुर में भी खुशी की लहर दौड़ गई।
जमशेदपुर में रहकर की है पढ़ाई
दरअसल, बोचहां से राजद के विधायक बने अमर कुमार पासवान जमशेदपुर में रहे हैं। यहां उनका ससुराल तो है ही, पढ़ाई भी की थी। बारीडीह बस्ती निवासी अमर पासवान के मित्र अंगद राज ने बताया कि अमर मानगो के संकोसाई में अपने जीजा रामाकांत पासवान के साथ रहते थे। इसी दौरान उन्होंने सिदगोड़ा स्थित एसडीएसएम स्कूल में 2005 से 2007 तक पढ़ाई की थी। यहीं से प्लस टू करने के बाद अमर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए बेंगलुरू चले गए। इस बीच उनके जीजा टाटा स्टील की नौकरी छोड़कर झारखंड सरकार में चले गए। अमर भी बेंगलुरू से बोचहां में रहने लगे। इसी बीच उन्होंने सिदगोड़ा स्थित दस नंबर बस्ती की हरपिंदर कौर से शादी कर ली थी। अंगद ने बताया कि इनके चुनाव प्रचार में राजद अध्यक्ष तेजस्वी यादव ने कहा था कि मैंने ईसाई से शादी की, तो अमर ने पंजाबी से विवाह किया है। हम जात-पात से ऊपर उठकर सोचते हैं।
जमशेदपुर से निकलकर कई बने बिहार के विधायक
पासवान की जीत पर गम्हरिया में राजद नेता अर्जुन यादव ने खूब लड्डू बांटे। पासवान के ससुराल में भी खुशी की लहर फैल गई है, तो अब एसडीएसएम स्कूल के पूर्व छात्र व शिक्षक भी अपने परिचितों-मित्रों में अमर पासवान की जीत की खुशी साझा कर रहे हैं।
मुसाफिर पासवान के निधन से खाली हुई थी सीट
बिहार के बोचहां विधानसभा पर पिछले चुनाव में वीआइपी पार्टी के मुसाफिर पासवान जीते थे, लेकिन कुछ ही दिनों बाद उनका निधन हो गया। ऐसे में राजद ने अमर कुमार पासवान और भाजपा ने बेबी कुमारी को मैदान में उतारा। शुरू में ऐसा लग रहा था कि बेबी कुमारी जीत जाएंगी, लेकिन अंतिम दौर में ऐसा पासा पलटा कि पासवान उपनाम का जलवा मतदाताओं के सिर पर चढ़ गया। संयोगवश 16 अप्रैल को ही तेजस्वी यादव का जन्मदिन था, जिससे इस जीत ने उन्हें दोहरी खुशी दे दी।
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