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    National Science Day 2024: टीचर हो तो ऐसा! खुले आसमां के नीचे पढ़ाते हैं बायोलॉजी, बच्‍चों को घुमाने ले जाते जंगल

    Updated: Wed, 28 Feb 2024 03:44 PM (IST)

    कक्षा की चहारदीवारी में पढ़ाई कई बार बोरिंग लगने लगती है वह भी अगर विषय जीव विज्ञान हो...ऐसे में अगर पढ़ाई प्रकृति की गोद में हो तो फिर क्‍या ही कहने! इन दिनों पटमदा प्रखंड के प्लस टू आदिवासी उच्च विद्यालय बांगुरदा में पढ़ाई कुछ इसी ढंग से हो रही है। बच्‍चे तितली उद्यान में पढ़ाई करते हैं। जीव विज्ञान शिक्षक विवेकानंद दरिपा इन्‍हें पढ़ाते हैं।

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    तितली उद्यान में पढ़ाई करते आदिवासी उच्‍च विद्यालय के बच्‍चे।

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। कक्षा की बोरियत को कम करने और जीव विज्ञान के अध्ययन को रोचक बनाने के लिए इन दिनों पटमदा प्रखंड के प्लस टू आदिवासी उच्च विद्यालय बांगुरदा में बना तितली उद्यान (बटरफ्लाई गार्डन) बच्चों, शिक्षकों और आगंतुकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

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    क्‍लास के बाहर बच्‍चे करते हैं बायोलॉजी की पढ़ाई

    पौधे और कीटों में प्रजनन तथा जीवन चक्र का अध्ययन हो या पारिस्थितिकी का अध्ययन, तितली उद्यान बच्चों के लिए प्राकृतिक वातावरण में बने वर्ग कक्ष की तरह लग रहा है। विद्यालय के जीव विज्ञान शिक्षक विवेकानंद दरिपा बताते हैं कि इस उद्यान का निर्माण 2023 के जून में विद्यालय के इको क्लब के द्वारा किया गया। इस उद्यान में लेंटेना, साल्विया, टकोमा, डायंथस, कैलेंडुला, नीरियम, ओलिएंडर, इक्सोरा क्रॉसेंड्रा, गुलाब, सूरजमुखी आदि पौधों को लगाया गया है, जो तितलियों को अपनी और आकर्षित करते हैं।

    दलमा के जंगलों में बच्‍चों को सिखाते परिंदो की बोली

    अब तक 25 से अधिक तितलियों के प्रजातियों को इस उद्यान में देखा गया है। यह उद्यान एक मैन मेड इकोसिस्टम है जो तितिलियों के साथ-साथ अन्य जीवों जैसे विभिन्न प्रकार के कीटों और पक्षियों को भी भोजन तथा आवास उपलब्ध कराती है।

    इस उद्यान के माध्यम से बच्चों में जीव विज्ञान पढ़ने की क्षमता विकसित हुई है। शिक्षक विवेकानंद सिर्फ यही पर अध्ययन नहीं कराते हैं, बल्कि दलमा के जंगलों में जाकर उन्हें पक्षियों की बोली भी सिखाते हैं।

    शिक्षक दरिपा कर रहे पक्षियों का अध्‍ययन

    शिक्षक दरिपा लंबे समय से पटमदा क्षेत्र में पक्षियों का अध्ययन कर रहे हैं। साथ ही बच्चों और ग्रामीणों को पक्षियों की पहचान और संरक्षण के लिए जागरूक कर रहें हैं। इसके लिए उन्होंने बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी, मुंबई से आर्निथोलाजी की पढ़ाई पूरी की है। वर्तमान में वह यूनिवर्सिटी आफ मैसूर से कीट विज्ञान का अध्ययन कर रहे हैं।

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