जमशेदपुर : इलेक्ट्रो स्टील, भूषण स्टील, एस्सार स्टील, मोनेट स्टील एंड पावर और जैसी अन्य स्टील कंपनियों का दूसरी स्टील कंपनियों ने अधिग्रहण किया। नतीजा घाटे में चल रही है ये स्टील कंपनियां आज न सिर्फ मुनाफे में है बल्कि इन कंपनियों में काम कर रहे कर्मचारियों की कीमत भी बदल चुकी है।
सतीश कुमार की बदल गई किस्मत
इलेक्ट्रो स्टील कंपनी के कर्मचारी सतीश कुमार आज एक खुशमिजाज आदमी हैं लेकिन तीन साल पहले स्थति ऐसी नहीं थी। वेतन में देरी और पूर्व कंपनी प्रबंधन के अनिश्चितकालीन स्थिति के कारण भविश्य भी अनिश्चिता के बादल मंडराने लगे थे लेकिन जैसी ही उनकी कंपनी को दिग्गज कंपनी वेदांत ने दिवालिया प्रक्रिया के तहत अधिग्रहण किया, कंपनी की स्थिति सुधार गई।
अब उन्हें न सिर्फ समय पर वेतन मिलता है बल्कि अब कंपनी के साथ-साथ यहां काम करने वाले सभी कर्मचारियों के सपनों को नया पंख मिल गया है। सिर्फ इलेक्ट्रोस्टील ही नहीं बल्कि लगभग सभी स्टील कंपनियां जिन्हें जेएसडब्ल्यू स्टील, आर्सेलर मित्तल, निप्पॉन स्टील इंडिया और टाटा स्टील जैसी बड़ी कंपनियों को बेचा गया था, उनके अधिग्रहणकर्ताओं ने स्टील की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से कंपनी की स्थिति में जबदस्त बदलाव कर दिया है।
आईबीसी के तहत हुआ है इन कंपनियों का अधिग्रहण
मार्च 2021 के अंत में कर्ज में डूबी कंपनियां (इलेक्ट्रोस्टील, भूषण पावर एंड स्टील, भूषण स्टील, मोनेट इस्पात एंड एनर्जी, और एस्सार स्टील) को नीलामी के लिए रखा गया है। जो कुल मिलाकर 21 मिलियन टन स्टील का निर्माण करती थी। इनसॉल्वेंसी एंड बैंक करप्सी कोड के तहत इनके कुल दावों का 70 प्रतिशत का निपटारा कर कर्ज में डूबी कंपनियों का अधिग्रहण किया।
सभी अधिग्रहणकर्ताओं ने इसके बाद कंपनी की स्थिति में अप्रत्याशित ढ़ंग से सुधार किया। उनके ऑपरेशन एफिसिएंसी, वर्किंग कैपिटल और मजबूत मैनेजमेंट मॉनिटरिंग की मदद से इस साल के अंत तक कंपनी में 80 प्रतिशत सुधार कर दिया। कोविड 19 महामारी के बावजूद स्टील की घरेलू डिमांड मजबूत बनी हुई है। यह मांग भविष्य में और भी बढ़ने वाली है ऐसे में अधिग्रहणकर्ता अधिग्रहित कंपनियों की क्षमता को 21 मिलियन टन से अधिक करने की भी तैयारी कर रही है।
कोविड से स्टील सेक्टर प्रभावित नहीं
क्रिसिल रेटिंग्स के एसोसिएट डायरेक्टर नवीन वैद्यनाथन का मानना है कि सौभाग्य से स्टील सेक्टर की डिमांड को कोविड 19 ने उतना ज्यादा प्रभावित नहीं किया। पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में लॉकडाउन के कारण बाजार के साथ-साथ कंपनियां बंद रही लेकिन इसके बाद तेज रिकवरी हुई और घरेलू मांग में गिरावट को वर्ष के लिए छह प्रतिशत तक सीमित कर दिया। जबकि ऑटो कंस्ट्रक्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में आई तेजी से इस वित्त वर्ष में मांग में 10-12 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है।
कंपनी फिर से हो रही है री-लिस्टेड
दिलचस्प बात यह है कि इलेक्ट्रोस्टील स्टील को उसके खराब प्रदर्शन के कारण एक्सचेंज से हटा दिया गया था। कंपनी के शेयर की कीमत को फ्रीज कर दिया गया था लेकिन अधिग्रहण के बाद कंपनी के शेयर की कीमत को फिर से अनलॉक करने के लिए इसे सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव किया जा रहा है। वेदांत, जिसने स्टील सेक्टर में प्रवेश किया और इलेक्ट्रोस्टील को 9.54 रुपये प्रति शेयर का भुगतान करके डीलिस्ट किया, ने कंपनी को केवल आठ महीनों में बदल दिया।
कुल मिलाकर, इसने 2018 में स्ट्रेस्ड एसेट के लिए 5,320 करोड़ रुपये का भुगतान किया। जब दिसंबर 2017 में कंपनी को दिवालियापन में शामिल हो गई थी तो इलेक्ट्रोस्टील को 900 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो रहा था और वित्तीय कर्जदाताओं का 13,395 करोड़ रुपये का दावा किया था, जबकि परिचालन लेनदारों का जोखिम 782 करोड़ रुपये था। मार्च, 2021 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में, कंपनी ने ऑपरेशन लागत को कम करके और नए फंड का उपयोग करके 2,732 करोड़ का शुद्ध लाभ दर्ज किया। कंपनी की योजना अगले मार्च से क्षमता को दोगुना कर 30 लाख टन करने की परियोजना शुरू करने की है।
इस कंपनी के अधिग्रहण का मामला और भी है दिलचस्प
जेएसडब्ल्यू स्टील के भूषण पावर एंड स्टील के अधिग्रहण का मामला और भी दिलचस्प है क्योंकि इस सौदे को सुप्रीम कोर्ट से अंतिम मंजूरी मिलने से पहले ही कंपनी ने 918 करोड़ रुपये का लाभ कमाया है। एक अनूठे समझौते में, जेएसडब्ल्यू स्टील ने मार्च में बीपीएसएल के ऋणदाताओं को 19,500 करोड़ रुपये का भुगतान इस शर्त के साथ किया था कि अगर सौदे को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी नहीं दी तो वे पैसे वापस कर देंगे।
जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक शेषगिरी राव ने कहा कि बीपीएसएल में निवेश अच्छा रिटर्न दे रहा है। इसमें और वृद्धि होगी क्योंकि कंपनी संयंत्र की ऑपरेशन कैपाबिलिटी में सुधार के लिए निवेश कर रही है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि कंपनी आगे के निवेश के साथ क्षमता को दोगुना करेगी। इसके बाद जेएसडब्ल्यू स्टील ने अक्टूबर में बीपीसीएल और प्रीपेड 3,300 करोड़ रुपये के अधिग्रहण के लिए 13,300 करोड़ रुपये का कर्ज उठाया था।
दिवालिया मामलों के समाधान में तेजी आए
लिंक लीगल के मैनेजिंग पार्टनर अतुल शर्मा का मानना है कि अगर स्टील इकाइयों के पुनरुद्धार के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की प्रक्रिया को तेज किया जाता है तो उधारदाताओं को समय पर उनका पैसा मिलता। हालांकि हाल ही में एनसीएलटी में कुछ नियुक्तियां की गई हैं, लेकिन यह दिवाला मामलों के तेजी से समाधान के लिए पर्याप्त नहीं है।
टाटा स्टील ने भी किया है भूषण स्टील का अधिग्रहण
देश की सबसे बड़ी निजी स्टील निर्माता कंपनी टाटा स्टील ने भी भूषण स्टील का अधिग्रहण किया है। आपको बता दें कि वर्ष 2002 में भूषण स्टील को दो भागों में बांटा गया। बड़े भाई संजय भूषण पावर एंड स्टील चला रहे हैं जबकि छोटे भाई नीरज भूषण स्टील कंपनी का संचालन कर रहे हैं। लेकिन बंटवारे के बाद कंपनी वो प्रदर्शन नहीं कर पाई जिसकी अपेक्षा थी। ऐसे में कंपनी दिवालिया हो गई और मामला एनसीएलटी में चला गया।
ऐसे में टाटा स्टील ने मई 2018 में भूषण स्टील का अधिग्रहण किया। इस अधिग्रण के साथ ही टाटा स्टील ने भूषण स्टील में प्रबंधकीय टीम में अपने वरीय अधिकारियों को तैनात किया। जिसकी वजह से कंपनी ने सितंबर तिमाही में पांच गुणा से अधिक वृद्धि कर अपना शुद्ध लाभ 1837 करोड़ रुपये अर्जित किया जबकि समान अवधि में यह लाभ 342 करोड़ रुपये था।
इसके साथ ही कंपनी ने अपना सकल कर्ज में 11,424 करोड़ रुपये चुकाने के बाद अब यह घटकर 78,163 करोड़ रुपये तक लेकर आ गई है। लंबी कानूी प्रक्रिया के बाद दीवाली के बाद एनसीएलटी ने टाटा स्टील द्वारा किए गए अधिग्रहण को अपनी मंजूरी दे दी। इस पर टाटा स्टील के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स भूषण स्टील के 16 शेयर पर टाटा स्टील का एक शेयर दे रही है। ऐसे में कंपनी और इसमें काम करने वाले कर्मचारी भी अब टाटा के कर्मचारी हो गए हैं।
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