Beekeeping Training: पूर्वी सिंहभूम में मीठी क्रांति लाने की तैयारी, आज से मधुमक्खी पालन के लिए प्रशिक्षण शुरू
पूर्वी सिंहभूम जिले में मीठी क्रांति को बढ़ावा देने के लिए उद्यान विभाग ने बोड़ाम प्रखंड में मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण शुरू किया है। जिला उद्यान पदाधिकारी अनिमा लकड़ा ने बताया कि रांची से आए विशेषज्ञ किसानों को तीन दिन का प्रशिक्षण देंगे जिसके बाद उन्हें मधुमक्खी के बक्से और अन्य उपकरण मिलेंगे। इस पहल का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और उत्पादन के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना है।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। पूर्वी सिंहभूम जिले में मीठी क्रांति लाने के लिए उद्यान विभाग व वन विभाग पूरी तरह जोर लगा रही है। इसी के तहत जिला उद्यान विभाग की ओर से आज यानी शुक्रवार से बोड़ाम प्रखंड के कुईयानी डाक बंगला में 25 किसानों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण देने का काम शुरू हुआ है।
जानकारी देती हुई जिला उद्यान पदाधिकारी अनिमा लकड़ा ने बताया कि किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए रांची से विशेषज्ञ को बुलाया गया है। उन्होंने बताया कि तीन दिन का प्रशिक्षण होगा। इसके पश्चात सभी किसानों को एक दिन के लिए नगरी रांची ले जाया जाएगा, जहां मधुमक्खी पालन की बारीकियां को समझ पाएंगे।
उद्यान पदाधिकारी ने बताया कि प्रशिक्षण पूरा होने के बाद किसानों को मधुमक्खी के बक्से, छत्ते और प्रोसेसिंग यूनिट उपलब्ध कराए जाएंगे। इसका उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना है। बोड़ाम क्षेत्र मधुमक्खी पालन के लिए अनुकूल हैं।
मिठी क्रांति से किसानों का बदलेगा तकदीर
मीठी क्रांति यानी शहद उत्पादन कर किसान अपनी आय को दोगुनी कर सकते हैं। उद्यान विभाग चाहता है कि असम और हिमाचल प्रदेश की तरह पूर्वी सिंहभूम के किसान भी मधुमक्खी पालन से अपनी आय बढ़ाएं।
उद्यान पदाधिकारी ने बताया कि मधुमक्खियां पारिस्थितिकी तंत्र की रीढ़ हैं। वह न केवल शहद का उत्पादन करती हैं, बल्कि परागण के माध्यम से कृषि को समृद्ध करती हैं और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देती है। शहद मिशन ग्रामीण भारत में आजीविका का एक प्रमुख स्रोत बन गया है। शहद उत्पादन आर्थिक और स्वास्थ्य समृद्धि दोनों का स्रोत बन गया।
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