कीताडीह में मनाया गया प्रकृति उपासना का महापर्व बाहा बोंगा
इष्टदेवता मरांग बुरु ग्राम जाहेर आयो मोड़े -तुरुई की श्रद्धा के साथ पवित्र (सरजोम बाहा) सखुआ व महुआ के फूल देवी देवताओं को अर्पित किया गया। इसके बाद सभी देवी देवताओं से प्रार्थना और आराधना की गई। इस बात की कामना की गई कि समस्त ग्रामवासी सुख समृद्धि से रहें।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। आदिवासी संथाल समाज का प्रकृति की उपासना का सबसे बड़ा महापर्व हैं बाहा बोंगा (पूजा)। मंगलवार को जमशेदपुर प्रखंड अंतर्गत कीताडीह गांव में 2022 साल के फाल्गुन महीने के दस्तक के साथ ही आदिवासियों के संथाल समुदाय में सबसे बड़ा महापर्व "बाहा बोंगा" महोत्सव की शुरुआत हुई।यह प्रकृति के उपासना का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है।
कीताडीह गांव के नायके महाबीर मुर्मू (पुजारी) के द्वारा इष्टदेवता मरांग बुरु, ग्राम, जाहेर आयो, मोड़े -तुरुई की श्रद्धा के साथ पवित्र (सरजोम बाहा) सखुआ के फूल महुआ के फूल देवी देवताओं को अर्पित किया गया। इसके बाद सभी देवी देवताओं से प्रार्थना और आराधना की गई। इस बात की कामना की गई कि समस्त ग्रामवासी सुख समृद्धि से रहे और गांव मैं किसी तरह का महामारी ना फैले। इस अवसर माझी बाबा महाबीर मुर्मू ने कहा बाहा का अर्थ होता है फूल, और आदिवासी संथाल समुदाय सबसे पहले नया (बाहा) फूल को अपने देवी देवता को अर्पित करते हैं। इस के बाद सभी इसे ग्रहण करते हैं। संसार में कई तरह के अच्छे अच्छे सुगंधित फूल है पर सकुआ का फूल को ही हमारे पूर्वजों ने क्यों चुना क्योंकि सखुआ का फूल कभी भी मुरझाता नहीं है इसलिए हमारे पूर्वजों सखुआ फुल को चुना ताकि हमारे समुदाय के लोग भी कभी मुरझाए नहीं पूजा के पश्चात सभी ग्राम वासियों ने प्रसाद के रूप में सोडे यानी (खिचड़ी) ग्रहण किया। फिर नायके बाबा सभी ग्राम वासी महिला एवम पुरुष को सकुआ फूल भेंट किया।
बाहा बोंगा पर्व के दौरान अनुष्ठान करते श्रद्धालु
महिलाओं ने जूड़े में लगाया फूल, पुरुषों ने कान में लगाया
पर्व के दौरान महिलाओं ने जूड़े में फूल लगाया। वहीं पुरुषों ने फूल को कान में लगाया। इस के बाद सभी ग्राम वासी के द्वारा परंपरिक नाच गान के साथ नायके बाबा को घर तक पहुंचाया। बुधवार को को सेंदरा किया जाएगा एवम पानी से होली खेल जायेगा। इस अवसर पर मुख्य रूप से उपस्थित थे बंगाल माझी, किशुन मुर्मू, विकास मुर्मू, संजीव हेंब्रम, कुडम नायके जयराम हेंब्रम, बिदु सोरेन,मनोज मुर्मू,जोक माझी सावन हांसदा, मदन सोरेन,झुझर बास्के, राजाराम मुर्मू, किशुन सोरेन, जादू मुर्मू, लिटा जारिका,सतीश सुंडी, मंगल सोरेन, गुरंबा हांसदा, होपोन हांसदा, मधु सोरेन आदि मौजूद थे।