उड़ने वाले गुब्बारों से बच्चों को रखें सावधान
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जमशेदपुर, निज संवाददाता:
यदि आपका बच्चा किसी ऐसे समारोह में जा रहा हो जहां गैस वाले गुब्बारे उड़ाए जाने हों, तो सावधान! उड़ने वाले गुब्बारे कभी भी हादसे का कारण बन सकते हैं। रविवार को उड़ने वाले गुब्बारों से ही चाईबासा में दुर्घटना हो चुकी है। इस घटना में दर्जन भर बच्चे घायल हुए थे। इस हादसे का कारण गुब्बारों को उड़ाने के लिए सस्ती गैस का इस्तेमाल किया जाना बताया जा रहा है।
इस बारे में महात्मा गांधी मेडिकल कालेज अस्पताल के विशेषज्ञ सह प्लास्टिक सर्जन डॉ. ललित मिंज का कहना है कि उड़ने वाले गुब्बारों में हीलियम व हाइड्रोजन गैस का प्रयोग होता है। लेकिन ये दोनों गैस महंगी होने के कारण गुब्बारे वाले इनकी जगह कार्बाइड से बनने वाली सस्ती गैस एसीटीलीन का इस्तेमाल करते हैं। कार्बाइड बाजार में सौ रुपये प्रति किलो मिल जाता है, जबकि हाइड्रोजन गैस की कीमत ज्यादा होती है। एसीटीलीन गैस वाले गुब्बारे ज्यादा देर तक आकाश में नहीं रह पाते और जमीन पर गिर जाते हैं। इससे हादसा होना संभव है।
जमशेदपुर पब्लिक स्कूल की प्राचार्या नमिता अग्रवाल ने भी बताया कि कैल्सियम व कार्बाइड के संयोजन से बनी एसीटिलीन गैस ज्वलनशील और घातक है। दिल्ली पब्लिक स्कूल के रसायन विज्ञान के शिक्षक सुरंजन दास का कहना है कि गैस का रिसाव होने पर ही बैलून नीचे आएगा। केरला समाजम मॉडल पब्लिक स्कूल की प्राचार्या नंदनी शुक्ला मानती हैं कि गुब्बारे में भरी गैस ज्वलनशील होती है।
इस तरह बरतें सावधानी
- आयोजक सुनिश्चित करें कि गुब्बारों में हीलियम या हाइड्रोजन गैस ही भरी हो।
- जांच कराई जाएं कि गुब्बारे में कौन सी गैस भरी जा रही है।
- गुब्बारे उड़ाए जाने वाले स्थान पर प्राथमिक उपचार की व्यवस्था हो।
- यदि गुब्बारा जमीन पर गिर जाए तो बच्चों को उन्हें उठाने से रोका जाए।
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इनसेट-
35 से 65 प्रतिशत झुलसे बच्चे
चाईबासा में रविवार हुए गुब्बारा हादसे में जले बच्चों को बेहतर इलाज के लिए टाटा मुख्य अस्पताल में दाखिल कराया गया है। पहले एमजीएम अस्पताल में इन्हें दाखिल कराया गया था। इनका इलाज टीएमएच के बर्न वार्ड में चल रहा है। अस्पताल के महाप्रबंधक डॉ. टीपी मधुसूदनन ने बताया कि बच्चे 30 से 65 प्रतिशत तक झुलसे हैं। इसलिए पूरी सावधानी बरती जा रही है।
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