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    विद्यार्थियों पर परीक्षा का अनावश्यक दबाव

    By Edited By:
    Updated: Mon, 15 Feb 2016 01:00 AM (IST)

    परीक्षाएं दस्तक दे चुकी हैं और वक्त है पढ़ी हुई चीजों को दोहराने का। दैनिक जागरण द्वारा आयोजित युवा

    परीक्षाएं दस्तक दे चुकी हैं और वक्त है पढ़ी हुई चीजों को दोहराने का। दैनिक जागरण द्वारा आयोजित युवा संपादक प्रतियोगिता के विजयी छात्रों ने परीक्षा का दबाव विषय पर अपनी राय प्रकट की है। परीक्षा की तैयारी को लेकर बच्चों की सोच पर उनकाआलेख।

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    महत्वाकांक्षा को पूरा करने का रहता है दबाव : शुभोजीत

    जमशेदपुर पब्लिक स्कूल की दसवीं कक्षा के छात्र

    समाज में अपनी छवि बरकरार रखने की होड़ में भी कई बार बच्चे तनावग्रस्त हो जाते हैं। परीक्षाओं के लिए तैयार हो रहे विद्यार्थियों का तनाव में रहना आम बात है। परिस्थितियों की वजह से छात्रों में तनाव बढ़ता है। इस कारण खराब परिणाम सामने आते हैं। कुछ अभिभावक अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने हेतु बच्चों पर इतना दबाव दे देते हैं कि जिससे उबरना कई बार मुश्किल हो जाता है। कई बार अभिभावकों द्वारा बच्चों की आपसी तुलना से भी बच्चों पर अधिक से अधिक अंक लाने का दबाव रहता है। इस कारण वे तनावग्रस्त हो जाते हैं। इस कारण परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को तनाव से मुक्ति मिलना चाहिए और स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए समय प्रबंधन के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखनी चाहिए।

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    पोजिशन मेंटेन रखने के कारण बढ़ता तनाव : अंजली

    शिक्षा निकेतन, टेल्को की कक्षा नवीं की छात्रा

    कक्षाओं में पोजिशन मेंटेन रखने के चक्कर में अक्सर कई विद्यार्थी तनाव में चले जाते हैं। इसलिए जब भी पढ़ाई करें, फ्रेश माइंड के साथ। पढ़ने से पहले टाइम टेबल अवश्य बनायें। स्ट्रेस से बचने के लिए पढ़ाई के बीच-बीच में ब्रेक अवश्य लें। इस छात्रा ने कहा कि परीक्षा के दौरान मेंटल और फिजिकल प्रेशर दोनों अचानक बढ़ जाता है। छात्रों को स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए। पौष्टिक आहार अवश्य लें। वे सिर्फ एक विषय में न घुसें।

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    समन्वय स्थापित कर करें पढ़ाई : मुस्कान

    विकास विद्यालय की 12वीं की छात्रा

    परीक्षाओं के दौरान अपने परिवार व शिक्षकों से आपसी समन्वय स्थापित कर पढ़ाई करें। इससे तनाव से अवश्य मुक्ति मिलेगी। परीक्षा में अच्छे अंक न प्राप्त करने अथवा असफलता के भय से कई छात्र आत्महत्या कर लेते हैं। अभिभावकों का कर्तव्य बनता है कि वे उन्हें समय का सदुपयोग करना सिखाएं। बच्चों के प्रति कठोरता नहीं अपितु सहानुभूति दर्शानी चाहिए। विद्यार्थियों को सकारात्मक प्रेरणा व उपयुक्त वातावरण देने पर ही वे अपनी प्रतिभा और क्षमता को उजागर कर सकते हैं।