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    मोह दूर करने का सुदंर उपाय श्रीराम कथा श्रवण

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    Updated: Fri, 08 Jan 2016 12:59 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : गीता भवन शिव मंदिर कैलाश नगर सोनारी में विश्व शांति यज्ञ और श्रीराम कथा ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : गीता भवन शिव मंदिर कैलाश नगर सोनारी में विश्व शांति यज्ञ और श्रीराम कथा के दूसरे दिन गुरुवार को आचार्य रविकांत वत्स ने कहा कि जीव महामोह में पड़ा हुआ है। यह मोह विशालकाय महिषासुर की तरह है और श्रीराम कथा इस राक्षस का वध करने के लिए काली देवी के समान समर्थ और शक्तिशाली हैं। अपने स्वरूप का ज्ञान न होना और उसके स्थान पर शरीर आदि से तादात्म्य कर लेना ही मोह है। यह मोह आक्रमण करने वाले व्यक्ति को निरस्त कर देता है और रूप बदल-बदल कर उत्पन्न होता रहता है। इस मोह को दूर करने का सबसे सुंदर उपाय भगवान की कथा का एकाग्रतापूर्वक नित्य श्रवण है। कथा सुनते समय यह भाव सतत बनाए रखना चाहिए कि कथा सुनने से हमारा मोह दूर हो जाएगा।

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    उन्होंने कहा कि वेदांत का एक ग्रंथ पंचदशी है। इसके आरंभ में ऋषि कहते हैं कि मोह तो एक मगरमच्छ है जिसने जीव के पैर को मजबूती से अपने दांतों में जकड़ रखा है। जीव व्याकुल है और छुटकारा पाने के लिए तड़प रहा है। गुरु की कृपा से वेदांत का ज्ञान उस मोह रूपी मगरमच्छ को नष्ट करके जीव को मुक्त कर देता है। भक्ति ग्रंथ श्री रामचरितमानस का भी यही प्रयोजन है। भक्त लोग राम कथा को बड़े प्रेम के साथ सुनते हैं। यह कथा चंद्रमा की शीतल मधुर किरणों के समान है और भक्त चकोर पक्षी के समान। जैसे चकोर को चंद्रमा अति प्रिय लगता है और चन्द्रमा की किरणें शरीर पर पड़ते ही नाचने लगता है, ठीक उसी प्रकार भक्तों को भी श्रीराम कथा बहुत प्रिय लगती है। वे निरंतर इसको सुनते हैं। राम कथा तो भव, रोग, मोह को दूर करने की एक औषधि है जिसका पान हमेशा करते रहना चाहिए।