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    जमशेदपुर में मिला दुर्लभ कल्पवृक्ष

    By Edited By:
    Updated: Tue, 22 Sep 2015 01:02 AM (IST)

    मनोज सिंह, जमशेदपुर कल्पवृक्ष का उल्लेख वेद-पुराणों में है। पौराणिक धर्मग्रंथों व ¨हदू मान्यता ह

    मनोज सिंह, जमशेदपुर

    कल्पवृक्ष का उल्लेख वेद-पुराणों में है। पौराणिक धर्मग्रंथों व ¨हदू मान्यता है कि कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर जो भी कामना की जाती है वह पूरी होती है। पुराणों में उल्लिखित समुद्र मंथन में निकले 14 रत्‍‌नों में से एक कल्पवृक्ष भी था, जिसे इंद्रदेव को दिया गया था। भारत में 10-12 कल्पवृक्ष होने की बात सामने आती रही है। इनमे से एक झारखंड के वनस्पति वैज्ञानिक हरिशंकर लाल ने जमशेदपुर स्थित जुबली पार्क में बने चिड़ियाघर में खोज निकाला है। गत 15 सितंबर को खोजे गए इस वृक्ष के बारे में वन विभाग को जानकारी दी जा रही है ताकि उस पेड़ के कल्प वृक्ष होने की पंिट्टका लगाई जा सके। इसके बाद ही आम लोगों को इस पेड़ के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इस पेड़ को खोजने वाले वनस्पति वैज्ञानिक हरिशंकर लाल की मानें तो कल्पवृक्ष 2000 साल से 5000 साल तक रहता है। वैसे जमशेदपुर में मिले इस वृक्ष की उम्र के बारे में शोध चल रहा है। हालांकि जू प्रबंधक विपुल चक्रवर्ती व जुस्को हर्टिकल्चरल सोसायटी के डॉ. मनोज कुमार ने ऐसी कोई जानकारी होने से इन्कार किया है।

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    'रांची में मिले कल्प वृक्ष पर वहां के डीएफओ ने बोर्ड लगवाया है। जमशेदपुर के डीएफओ को भी जुबिली पार्क में मिले कल्प वृक्ष पर बोर्ड लगाने को आवेदन देने जा रहे हैं। इससे पेड़ को सुरक्षित रखा जा सकेगा और लोगों को जानकारी भी मिल सकेगी।

    -हरिशंकर, रिसर्च वैज्ञानिक।

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    कल्पवृक्ष में खूबियां ही खूबियां

    झारखंड सरकार के रिसर्च वैज्ञानिक हरिशंकर लाल के अनुसार कल्पवृक्ष में खूबियां ही खूबियां हैं। पर्यावरण को शुद्ध करने की अद्भुत क्षमता के साथ ही कल्पवृक्ष सेहत की दवाइयों का भंडार है। कल्पवृक्ष बेहद मोटे व लंबे तना वाला पेड़ है। इसके पत्ते भी लंबे होते हैं। इसका फल नारियल की तरह होता है तथा फूल कमल के फूल में रखी छोटी सी गेंद में निकली रूई की तरह होता है। हरिशंकर बताते हैं कि जहां यह वृक्ष पाया जाता है वहां सूखा नहीं पड़ता। यह दूर-दूर तक हवा को प्रदूषण से दूर करता है। कल्पवृक्ष का वयस्क पेड़ अंदर से खोखला रहता है, लेकिन मजबूत रहता है। इसके अंदर एक लाख लीटर पानी का भंडारण किया जा सकता है।

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    बीमारियों के लिए रामबाण है कल्पवृक्ष

    विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ तक का मानना है कि शरीर में आवश्यक आठ अमीनो एसिड में से छह इस वृक्ष में पाए जाते हैं। इस वृक्ष की तीन से पांच पत्ती खाने से शरीर में जितने भी प्रकार के सप्लीमेंट की जरूरत होती है, वह पूरी हो जाती है। इसके पत्ते एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं। यह कब्ज व एसीडीटी में कारगर है। कल्पवृक्ष के पत्तों में एलर्जी, दमा, मलेरिया को समाप्त करने की शक्ति है।

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    भारत में कहां है कल्पवृक्ष

    रिसर्च वैज्ञानिक हरिशंकर लाल के अनुसार भारत में बमुश्किल 10-12 कल्प वृक्ष हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि बाराबंकी में विद्यमान कल्पवृक्ष की उम्र 5000 वर्ष से अधिक है। ग्वालियर के पास कोलारस में भी एक कल्पवृक्ष है, जिसकी उम्र 2000 वर्ष से अधिक है। इसके अलावा एक वृक्ष राजस्थान के अजमेर के पास मांगलियावास में और दूसरा पुट्टपर्थी के सत्य साई बाबा के आश्रम में मौजूद है। इसके साथ ही जमशेदपुर में एक, रांची में तीन, अल्मोड़ा, काशी, नर्मदा नदी के किनारे यह वृक्ष पाया गया है।