याद की गई पैगंबर व इमाम हसन की शहादत
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : एक रवायत के मुताबिक पैगंबर-ए-अकरम हजरत मुहम्मद मुस्तफा स. की शहादत 28 सफ
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : एक रवायत के मुताबिक पैगंबर-ए-अकरम हजरत मुहम्मद मुस्तफा स. की शहादत 28 सफर को हुई थी। इसी दिन उनके नवासे इमाम हसन अ. की भी शहादत का दिन है। इस दिन शिया समुदाय ने पैगंबर-ए-इस्लाम और इमाम हसन की शहादत का गम मनाया।
इस मौके पर मानगो के जाकिर नगर में शिया जामा मस्जिद में मजलिस हुई। मजलिस के बाद नौहाख्वानी और सीनाजनी हुई। मजलिस को मौलाना सादिक अली ने खिताब किया। उन्होंने पढ़ा कि हुजूर-ए-अकरम को जहर दिया गया था। यह धीमा जहर था जो उनके बदन में धीरे-धीरे असर कर रहा था। इस तरह रसूल-ए-अकरम की शहादत हुई। उनके नवासे इमाम हसन को अशअस किंदी की बेटी जोअदा बिन्ते अशअस ने जहर दिया। जहर मिला पानी पीने से इमाम हसन के कलेजे कट कट कर उल्टी के साथ गिरने और उनकी शहादत वाके हुई।
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इमाम हसन के जनाजे पर चले तीर
इमाम हसन ने वसीयत की थी कि उन्हें नाना रसूल-ए-खुदा हजरत मुहम्मद के पहलू में दफन किया जाए। इस वसीयत पर अमल करने को जब इमाम हुसैन भाई का जनाजा लेकर रौज-ए-रसूल स. की तरफ बढ़े तो विपक्षी फौजों ने रास्ता रोक लिया और जनाजे पर तीर बरसाए। तारीख के अनुसार इमाम हसन के जनाजे पर 70 तीर लगे और उनका जनाजा वापस घर लाया गया। तीर निकालने के बाद दूसरा कफन पहना कर जनाजा जन्नतुल बकी ले जाया गया। यहां उन्हें मां फातमा जहरा के पहलू में दफन किया गया।
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