यहां शादी से पहले दुल्हन जाती है ससुराल, मायके वाले लाते हैं बरात
परंपरा के साथ-साथ यह शादियां सामाजिक संदेश भी देती हैं। अधिकांश शादियां बिना दान दहेज की ही होती हैं।

विकास कुमार, हजारीबाग। शादी से दो दिन पहले दुल्हन की विदाई बात सुनने में भले में अटपटी लगे लेकिन, यह हकीकत है। उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल में शादी की यह अनोखी परंपरा काफी वर्षों से चली आ रही है। जहां दूल्हे के परिजन लगनबंधी (स्थानीय रिवाज) करने दुल्हन के घर जाते हैं और बिन शादी ही कन्या को विदा करा अपने घर ले आते हैं।
एक से दो दिनों तक दुल्हन घर की बुजुर्ग महिलाओं के साथ रहती है। फिर दुल्हन के पिता और परिजन बरात लेकर पहुंचते हैं, जहां अपने घर पहुंचे बराती में दूल्हा भी शामिल होता है। यहीं पिता कन्यादान करते हैं। लड़के के घर ही शादी की रस्म पूरी की जाती है। फिर दुल्हन को वहीं छोड़ बरात विदा हो जाती है। प्रमंडल में यह रिवाज दोला नाम से जाना जाता है। हाल के वर्षों कई हिंदू जातियों में इस परंपरा से शादियां हो रही । इसका प्रचलन भी तेजी से बढ़ा है। खासकर दहेज प्रथा के खिलाफ यह एक बड़ा उदाहरण है।
परंपरा के साथ-साथ यह शादियां सामाजिक संदेश भी देती हैं। अधिकांश शादियां बिना दान दहेज की ही होती हैं। सबसे बड़ी बात यह होती है कि शादी का पूरा खर्च भी लड़के पक्ष के द्वारा किया जाता है। बरातियों की स्वागत भी वे अपने घरों में सामान्य शादी की तरह ही करते हैं।
दोला परंपरा से हुईं शादियां
30 अप्रैल को बड़कागांव हरली की लक्ष्मी कुमारी की शादी बड़कागांव के सेवक कुमार से हुई। 28 अप्रैल को लगनबंधी कर लक्ष्मी अपने ससुराल पहुंच गई थी। 30 को दूल्हे के घर पर बरात पहुंची। धूमधाम से शादी संपन्न हुई। 8 मई को बड़कागांव हरली की खुशबू की शादी बड़कागांव दौहर नगर में हीरामणि कुमार से संपन्न हुई।

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