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    ऐसे होती है सरकारी राशि की बर्बादी, तीन लाख खर्च कर लगवाए पौधों पर बीडीओ ने डलवा दी मिट्टी

    Updated: Thu, 17 Jul 2025 06:27 PM (IST)

    मनरेगा के तहत राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत टाटीझरिया प्रखंड प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर में एक एकड़ जमीन पर वर्ष 2020-21 में बागवानी की गई थी। इसे जेसीबी मशीन से समतल कर पौधों पर मिट्टी डाल दी गई। यह घटना बीडीओ कार्यालय से सटे की है। बागवानी की स्वीकृत प्राक्कलित राशि 322586 रुपये थी।

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    तीन लाख खर्च कर प्रखंड मुख्यालय में लगाई गई बागवानी पर मिट्टी डलवा दी गई।

    मिथिलेश पाठक, टाटीझरिया (हजारीबाग)। मनरेगा के तहत राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत टाटीझरिया प्रखंड क्षेत्र में कई स्थानों पर आम के पौधे लगाए गए थे। इन्हीं में एक बागवानी प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर में एक एकड़ जमीन पर वर्ष 2020-21 में की गई थी।

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    अब इसे जेसीबी मशीन से समतल कर पौधों पर मिट्टी डाल दी गई। यह घटना बीडीओ कार्यालय से सटे की है, जिसने सरकारी योजनाओं में राशि की बर्वादी को ले कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

    उक्त आम बागवानी की स्वीकृत प्राक्कलित राशि 3,22,586 रुपये थी। इस योजना के तहत बागान के चारों ओर इमारती पौधे भी लगाए गए थे। बागवानी को संरक्षित रखने के लिए लोहे की जाली और जंजीर भी लगाई गई थी।

    मजदूरी मद में 62,000 तथा सामग्री मद में 74,884 का भुगतान भी किया गया था। शेष राशि का भुगतान लंबित बताया जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बागवानी में लगे पौधे पूर्णतः स्वस्थ थे। ये भविष्य में आमदनी का स्रोत भी बन सकते थे।

    बीडीओ आवास के लिए रास्ता बनाने के लिए उजाड़ी बागवानी

    बीडीओ आवास जाने के लिए बनाई गई पीसीसी सड़क संकरी थी। आवास के पास लगे पेड़-पौधे संबंधित अधिकारी को पसंद नहीं आ रहे थे। इसी वजह से बागवानी को जेसीबी लगाकर साफ करा दिया गया। इस कार्रवाई में कार्यालय परिसर स्थित शौचालय की टंकी भी क्षतिग्रस्त हो गई है।

    घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश है। उनका कहना है कि अगर कोई आम व्यक्ति सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाता तो तत्काल कार्रवाई होती। अब जब खुद अधिकारी के आदेश से सार्वजनिक धन से बनी योजना बर्बाद की गई है, तो क्या इस पर भी कोई कार्रवाई होगी।

    कई लोगों ने मांग की है कि इस क्षति की जांच होनी चाहिए और दोषियों पर कार्रवाई करते हुए नुकसान की भरपाई कराई जानी चहिए। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यदि योजनाएं महज दिखावा और लूट का माध्यम बन जाएं, तो इससे शासन और जनता के बीच विश्वास की खाई और गहरी होगी।