संस्कार शब्द का व्यापक अर्थ है सद्व्यवहार
संस्कार का अर्थ है अच्छे गुण अच्छे व्यवहार अच्छे कर्म एवं अच्छा रहन-सहन। बच्चों को बचपन से प्रारंभ ह
संस्कार का अर्थ है अच्छे गुण अच्छे व्यवहार अच्छे कर्म एवं अच्छा रहन-सहन। बच्चों को बचपन से प्रारंभ होकर जीवन पर्यत संस्कार मिलते रहते हैं। बच्चों में संस्कार का गुण विकसित करने के लिए हमें घर में अच्छा माहौल बनाना होगा। बच्चों की प्रथम पाठशाला घर ही होता है और बच्चे के माता-पिता प्रथम गुरु होते हैं। यदि बच्चों में संस्कार डालना है तो बचपन से ही उनमें अच्छे संस्कार डालने होंगे। बच्चे के माता-पिता, चाचा-चाची दादा-दादी एवं अन्य परिवार सदस्य, जैसे -बातचीत एक दूसरे के साथ करना। व्यवहार, घर के समान तरीके से रखना, आगंतुक का स्वागत, सब काम तरीके से एवं समय से करना इत्यादि करते हैं ।बच्चे भी यह सब देखकर एवं सुनकर उन्हीं चीजों का अनुसरण करते हैं। इसलिए बच्चों में संस्कार की नींव घर परिवार से ही डालनी होती है।
-अमीनुल हक, प्रधानाध्यापक, मध्य विद्यालय बेरहो, टाटीझरिया
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महिलाओं को मिले उचित सम्मान
यत्र नार्यस्तु पूज्यते रमंते तत्र देवता। शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि जहां पर नारियों की पूजा की जाती है वहां देवताओं का वास होता है। भारतीय समाज में नारियों की प्राचीनकाल से ही सर्वश्रेष्ठ स्थान है। महाभारत काल हो अथवा रामायण काल या ऋग्वेद काल इन सभी काल में नारियों की विशेष महत्ता थी। आज लोग नारियों को हेय दृष्टि से देखते हैं जिस का कुप्रभाव समाज में साफ दिखता है जब तक नारियों को समाज में प्रतिष्ठा नहीं दी जाएगी उनके प्रति सम्मान नहीं होगा, तब तक संस्कार से लोग विलुप्त होते रहेंगे। बच्चों और युवाओं में संस्कार भरने के लिए महिलाओं को उचित सम्मान देने की आवश्यकता है।
-कांति कुमारी सहायक शिक्षक मध्य विद्यालय, बेरहो
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बच्चों में संस्कार भरने की जरूरत
आधुनिक युग में बच्चे संस्कार विहीन होते जा रहे हैं। इसका मुख्य कारण समाज में पाश्चात्य सभ्यता का हावी होना है। धीरे-धीरे हमारा देश तरक्की कर रहा है, डिजिटल रिलेशन के युग में सभी काम मशीन से हो रहा है। यह अच्छी बात है परंतु हर अच्छे काम के करने के तरीके में बुराई भी छिपी होती है। मशीन का उपयोग करने वाला किस प्रकार का व्यक्ति है, उसका आचरण कैसा है, वह विकास के लिए प्रतिबद्ध है अथवा उसका आचरण गलत है, यह उस पर निर्भर करता है। आज आवश्यकता है अपने बच्चों में संस्कार भरने की। रामायण और महाभारत या प्रेरक प्रसंग से ओतप्रोत कहानियां सुनाने की उन्हें शब्द बनाने की। आज अभिभावक अपने बच्चों से दूर होते जा रहे हैं। उन्हें खुद फुर्सत नहीं मिलती जिस कारण वे अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। बच्चे क्या कर रहे हैं कैसी संगति में हैं, उसकी निगरानी अभिभावकों द्वारा नहीं होने के कारण बच्चे संस्कार विहीन हो जाते हैं। बच्चों की प्रवृत्ति गलत कार्यों के प्रति ज्यादा होती है, ऐसे में उन्हें रोकने वाला कोई नहीं मिलता। यही कारण है कि वे बिगड़ते जाते हैं और संस्कारविहीन बन जाते हैं।
-नरेंद्र कुमार गुप्ता, सहायक शिक्षक, मध्य विद्यालय बेरहो
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अच्छी संगति से मिलते हैं संस्कार
अच्छे संस्कार के लिए जरूरी है कि बच्चों का लालन-पालन बेहतर परिवेश में हो। अच्छी संगति से ही अच्छे संस्कार की सीख मिलती है। अच्छी संगति में संस्कारवान दोस्तों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
-रानी कुमारी, छात्रा
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गुरुजनों का सम्मान करें
माता-पिता और परिवार के वृद्धजन बच्चों को अच्छे संस्कार देते हैं। इसके अलावा गुरुजन व विद्यालयी परिवेश भी बच्चों को संस्कारवान बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में बच्चों को भी माता-पिता व गुरुजनों का पूरा सम्मान करना चाहिए।
-आयूष कुमार, छात्र
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