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    Hazaribagh Maoist Encounter: पत्नी-बच्चों से नाता तोड़ा, हथियारों के साये में जीता रहा एक करोड़ का इनामी सहदेव सोरेन

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 04:51 PM (IST)

    मुठभेड़ में मारा गया प्रतिबंधित संगठन माओवादी केंद्रीय कमेटी सदस्य और एक करोड़ का इनामी नक्सली सहदेव सोरेन करीब 18 साल पहले सहदेव गांव आया था। उसने अपनी पत्नी पार्वती देवी और एक बेटे को गांव में छोड़ दिया और फिर कभी घर नहीं लौटा। पार्वती देवी अब मजदूरी कर घर चला रही है। पुलिस द्वारा दिखाई गई तस्वीर से ग्रामीणों ने उसकी पहचान की।

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    मुठभेड़ में मारा गया एक करोड़ का इनामी माओवादी की पत्नी किसी तरह परिवार का गुजर बसर कर रही है।

    ललित मिश्रा, विष्णुगढ़ (हजारीबाग)। हजारीबाग पुलिस और अर्द्धसैनिक बल को सोमवार को बड़ी सफलता हाथ लगी। प्रतिबंधित संगठन माओवादी केंद्रीय कमेटी सदस्य और एक करोड़ का इनामी नक्सली सहदेव सोरेन उर्फ प्रवेश उर्फ अनूज उर्फ अमलेश पातेतिरी जंगल में हुई मुठभेड़ में मारा गया।

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    करीब 18 साल पहले सहदेव गांव आया था। उस समय उसने अपनी पत्नी पार्वती देवी और एक बेटे को गांव में छोड़ दिया और फिर कभी घर नहीं लौटा। पार्वती देवी अब मजदूरी कर घर चला रही है।

    बड़ा बेटा रांची में 12वीं का छात्र है, जबकि छोटा बेटा हजारीबाग के स्कूल में 8वीं में पढ़ता है। मंगलवार को घरेलू काम में जुटी पार्वती देवी ने कहा कि पति के आने-जाने की कोई जानकारी नहीं होती थी। मुठभेड़ की खबर सुनकर वह दुखी जरूर दिखी, लेकिन शब्दों में कुछ भी कहने से बचती रही।

    गांव में खामोशी, तस्वीर से हुई पहचान

    भंडेरी गांव में जब सहदेव की मौत की खबर पहुंची तो लोग पहले अनभिज्ञता जताते रहे। बाद में पुलिस द्वारा दिखाई गई तस्वीर से ग्रामीणों ने उसकी पहचान की।

    ग्रामीणों ने कहा कि उसने बचपन में ही घर छोड़ दिया था। फिर गांव लौटकर कभी नहीं आया। बचपन से हथियारों का शौकीन था। 

    गांव के स्कूल में पढ़ाई शुरू करने के बाद सहदेव ने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और घर से निकल पड़ा। धीरे-धीरे वह प्रतिबंधित नक्सली संगठन एमसीसीआइ से जुड़ा और केंद्रीय कमेटी तक पहुंच गया।

    लंबे समय से वह रघुनाथ हेम्ब्रम और वीरसेन गंझू के साथ इलाके में सक्रिय था। पुलिस ने बताया कि सहदेव की सक्रियता पिछले कुछ महीनों में कमजोर हो चुकी थी।

    सोमवार की सुबह गोरहर थाना क्षेत्र के पातेतिरी जंगल में सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में वह मारा गया। छह माह के भीतर यह दूसरी बड़ी मुठभेड़ की घटना है।अब झारखंड में एक करोड़ के इनामी माओवादियों की संख्या तीन रह गई है।