झारखंड के इस जिले में मिड-डे मील को लेकर अनूठी पहल, अब बच्चों के साथ खाने का स्वाद चखेंगे अफसर
हजारीबाग में उपायुक्त शशि प्रकाश सिंह की पहल के तहत अब अधिकारी स्कूलों में बच्चों के साथ मध्याह्न भोजन करेंगे। हर मंगलवार को अधिकारी विद्यालय पहुंचकर भोजन की गुणवत्ता का निरीक्षण करेंगे और बच्चों से बातचीत करेंगे। इसका उद्देश्य बच्चों को पोषणयुक्त भोजन सुनिश्चित करना है और शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करना है।

विकास कुमार, हजारीबाग। अब जिले के स्कूलों में बच्चों के साथ भोजन की टेबल पर अधिकारी भी बैठेंगे। उपायुक्त शशि प्रकाश सिंह की अनूठी पहल के तहत हर मंगलवार किसी एक विद्यालय में अधिकारी पहुंचेंगे और वहां बच्चों के साथ बैठकर मध्याह्न भोजन करेंगे।
यह पहल न केवल बच्चों के लिए उत्साहजनक है, बल्कि इससे मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता पर भी सीधा असर पड़ेगा। प्रयोग के तौर इस मंगलवार को इसे प्रारंभ भी किया गया। इसकी सफलता के बाद अब इसे प्रत्येक मंगलवार को अधिकारी बच्चों के विद्यालय में नजर आएंगे।
जिला प्रशासन अनुसार इस प्रयोग का उद्देश्य बच्चों को पोषणयुक्त और गुणवत्तापूर्ण भोजन सुनिश्चित करना है। उपायुक्त ने कहा कि हमारा मकसद है कि कोई बच्चा अधपका या घटिया भोजन न खाए। जब अधिकारी खुद बच्चों के साथ बैठकर भोजन करेंगे तो विद्यालय प्रबंधन पर जिम्मेदारी बढ़ेगी।
शिकायतों की स्थिति में तुरंत कार्रवाई भी संभव हो सकेगी। वे स्वयं भी मंगलवार को किसी न किसी स्कूल में पहुंचकर बच्चों के साथ भोजन करेंगे।
राज्य में पहली बार ऐसा प्रयोग
यह पहल झारखंड में पहली बार की जा रही है। पहले भी मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता को लेकर समय-समय पर शिकायतें सामने आती रही हैं। कहीं अधपका खाना, कहीं मेन्यू से हटकर भोजन या साफ-सफाई की कमी की बातें होती थीं।
अब अधिकारी सीधे स्कूल पहुंचेंगे और बच्चों के साथ भोजन करके उसकी गुणवत्ता को परखेंगे। योजना के तहत हर मंगलवार किसी एक विद्यालय का चयन किया जाएगा।
संबंधित ब्लॉक के अधिकारी वहां पहुंचकर पहले बच्चों से बातचीत करेंगे, फिर उनके साथ बैठकर खाना खाएंगे। इस दौरान भोजन के स्वाद, साफ-सफाई, मात्रा और मेन्यू के पालन पर ध्यान दिया जाएगा। किसी भी तरह की कमी मिलने पर मौके पर ही नोटिस दिया जाएगा और सुधार के निर्देश दिए जाएंगे।
इसके अलावा उपायुक्त ने प्रत्येक ब्लॉक में नियमित रूप से जनता दरबार लगाने के निर्देश भी जारी किए हैं। इसका उद्देश्य है कि ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली शिकायतों और समस्याओं का समाधान स्थानीय स्तर पर जल्दी हो सके। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और लोग अपनी बात सीधे अधिकारियों तक रख सकेंगे।
वर्तमान में जिले के 1462 विद्यालयों में बच्चों को मध्याह्न भोजन करवा जाता है। करीब 1 लाख आठ हजार बच्चे इससे लाभान्वित होते हैं।
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