Hazaribagh News: पगार ओपी प्रभारी की बढ़ेगी मुश्किलें, अचानक DIG आवास पहुंचे सांसद मनीष जायसवाल
बड़कागांव में पगार ओपी प्रभारी द्वारा पुलिस प्रताड़ना के खिलाफ सांसद मनीष जायसवाल ने डीआईजी से शिकायत की। सांसद ने थाना प्रभारी पर निर्दोष छात्र को झूठे केस में फंसाने का आरोप लगाया क्योंकि उसने एक खनन कंपनी के खिलाफ शिकायत की थी। जायसवाल ने मामले की जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की और इसे अमानवीय बताया।

संवाद सूत्र, जागरण (हजारीबाग)। बड़कागांव के पगार ओपी प्रभारी द्वारा पुलिस प्रताड़ना का मामला सामने आया है। इसे लेकर नाराज सांसद मनीष जायसवाल ने डीआईजी आवास पहुंच कर थाना प्रभारी के खिलाफ आवेदन दिया है।
सांसद ने इसे अमानवीय करार देते हुए मामले पर संज्ञान ले और दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की बात कही है। दरअसल, सांसद पगार ओपी प्रभारी विक्की ठाकुर को लेकर इसलिए आगबबूला हैं क्योंकि उसने एक निर्दोष पर झूठा केस दर्जकर उसे जेल भेज दिया है।
पूरा मामला पगार ओपी का है, जिसके प्रभारी विक्की ठाकुर पर गंभीर आरोप लगा है कि उसने झूठा आरोप लगाकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, क्योंकि उसने कोयल खनन कंपनी के खिलाफ आवेदन दिया था।
हजारीबाग में पुलिस प्रताड़ना की शिकायत लेकर जब सांसद खुद डीआईजी आवास पहुंच जाए तो यह समझना चाहिए कि मामला कितना गंभीर है। सांसद ने मूलचंद साव और उनके परिवार के ऊपर पुलिस प्रताड़ना को लेकर डीआईजी संजीव कुमार को आवेदन दिया और कहा है कि इस पूरे मामले की तहकीकात कर उचित कार्रवाई की जाए।
पूरा मामला कोल कंपनी के जमीन अधिग्रहण से लेकर जुड़ा हुआ है। मूलचंद साव की जमीन और घर कोयला उत्खनन को लेकर अधिग्रहण में गया है। पैसा भुगतान का विरोध करते हुए इन्होंने पगार ओपी में आवेदन दिया था। उनका आवेदन स्वीकार नहीं किया गया। अंतत उन्होंने ऑनलाइन शिकायत कर दी।
सांसद ने जानकारी देते हुए बताया कि आवेदन स्वीकार नहीं करने पर आवेदनकर्ता और पुलिस के बीच बहस भी हुई। इसी दौरान थाना ने केस करने की धमकी देकर वापस कर दिया, घटना 12 मई की है।
पुलिस ने उसी दिन मूलचंद के पुत्र शारदानंद कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उसके ऊपर सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप लगाया गया है।
मनीष जायसवाल ने जानकारी देते हुए कहा कि थाना प्रभारी ने आरोप लगाया है कि उसके साथ गलत व्यवहार किया गया। थाने का समान फेंक दिया गया, ऐसे में यह भी सवाल खड़ा होता है कि थाने में घुसकर एक व्यक्ति आखिर कैसे कानून विरोधी काम किया और पुलिस ने उसे जाने दिया।
सांसद ने पूरे मामले की निष्कर्ष जांच करने की मांग की है। वहीं, पीड़ित परिवार का करना है कि एक पढ़ने-लिखने वाले लड़के के करियर के साथ पुलिस ने खिलवाड़ किया है। ऐसे में उन्होंने न्याय की गुहार लगाई है।
हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल ने डीआईजी संजीव कुमार से कहा है कि उक्त पूरे घटना की सीसीटीवी कैमरे के जरिए जांच कराया जाए।
इन्होंने यह भी सवाल खड़ा किया है कि जहां एक और पुलिस पीपुल फ्रेंडली होने का दावा करती है तो दूसरी ओर एक पढ़े-लिखे लड़के को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जा रहा है। जिस कारण लोगों का विश्वास उठता जा रहा है। इस पूरे मामले पर डीआईजी ने कुछ भी करने से मना कर दिया।
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