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    Facebook पर प्यार चढ़ा परवान तो लांघ दी सरहद, धर्म बदलकर शादी की; पर नहीं बदली तकदीर

    By Arvind Rana Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Tue, 25 Nov 2025 08:26 PM (IST)

    बांग्लादेश की मीतू अख्तर बिस्ती की प्रेम कहानी दर्दनाक मोड़ पर आ गई है। फेसबुक पर चौपारण के एक युवक से दोस्ती हुई, प्यार हुआ और वह भारत आ गई। युवक ने फर्जी पहचान पत्र बनवाया। मीतू ने धर्म बदलकर शादी भी की, लेकिन पति नशे में डूबा रहा और उसे छोड़ दिया। मीतू ने प्रशासन से मदद मांगी पर कोई सुनवाई नहीं हुई।

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    इंटरनेट मीडिया पर हुई दोस्ती ने बांग्लादेश के ढाका की रहने वाली मीतू अख्तर को सरहदों के पार भारत तक खींच लाया।

    संवाद सूत्र, हजारीबाग। बांग्लादेश के ढाका जिला बोरिसल की रहने वाली मीतू अख्तर बिस्ती की प्रेम कहानी आज एक दर्दनाक संघर्ष में बदल चुकी है। इंटरनेट मीडिया पर हुई एक साधारण दोस्ती ने उसे सरहदों के पार भारत तक खींच लाया।

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    लेकिन चार साल बाद वही रिश्ता उनके लिए बेबसी, बर्बादी और पीड़ाजनक बनकर रह गया है। आंखों में आंसू लिए मीतू बताती है कि वर्ष 2022 में उसकी फेसबुक पर हजारीबाग जिले के चौपारण प्रखंड के एक युवक से परिचय हुआ।

    रोजाना की बातचीत कुछ ही महीनों में प्यार में बदल गई। आरोप है कि युवक ने जुगाड़ कर उसके लिए फर्जी पहचान पत्र बनवाया और उसे बांग्लादेश से पहले कोलकाता, फिर मुंबई ले आया।

    मुंबई में आर्थिक तंगी के हालात ऐसे बन गए कि मीतू को पेट पालने के लिए बार डांसर तक का काम करना पड़ा। दोनों एक किराए के कमरे में रहते थे और किसी तरह जिंदगी चलाते रहे।

    जीवन संगिनी बनने में धर्म आया आड़े

    मीतू बताती है कि युवक के परिजन मुस्लिम समुदाय से आने वाली मीतू को अपनाने को तैयार नहीं हुए। जनवरी 2023 में स्वेच्छा से उसने सनातन धर्म अपना लिया। फरवरी 2023 में दोनों ने हिंदू रीति-रिवाज से शादी कर ली।

    शादी के बाद दोनों फिर मुंबई लौट आए, जहां मीतू ने खून-पसीना एक कर अपने पति के लिए कमाई कर गाड़ी खरीद दी। लेकिन उसके अनुसार पति की दुनिया सिर्फ नशे के इर्द-गिर्द सिमटी रही।

    आर्थिक बोझ, जिम्मेदारियों से भागना और लगातार नशे में रहना, दोनों के रिश्ते में दरार डालता गया। इस बीच फरवरी 2025 में युवक अपने घर चौपारण जाने की बात कहकर निकला और वायदा किया कि कुछ दिनों में लौट आएगा। लेकिन वह वापस नहीं आया।

    चौपारण पहुंची तो मिला तिरस्कार

    वह बताती है कि मुंबई में रहने के लिए पैसे खत्म हो चुके हैं। किराया और भोजन की व्यवस्था के लिए उसने अपनी कानों की बालियां तक बेच दीं।
    मीतू का दावा है कि उसने कई बार प्रशासन से मदद मांगी, पर कोई सुनवाई नहीं हुई।