धरी की धरी रह गई प्रशासनिक व्यवस्था, जहां की तहां खड़ी रही ट्रेनें; वंदेभारत को करना पड़ा रद
हजारीबाग में कुड़मी समुदाय ने जनजाति में शामिल करने की मांग को लेकर रेल रोको आंदोलन किया जिससे ट्रेनों का परिचालन बाधित रहा। चरही में बड़ी संख्या में लोग रेलवे ट्रैक पर जमा हो गए जिससे पटना-रांची वंदे भारत सहित कई ट्रेनें रद करनी पड़ीं। प्रशासन की निषेधाज्ञा के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने ढोल-नगाड़ों के साथ विरोध जताया और विधायक तिवारी महतो ने भी आंदोलन का समर्थन किया।

जागरण टीम, हजारीबाग। कुड़मी को जनजाति में शामिल करने की मांग को लेकर चार दशक से आंदोलित कुड़मी समाज द्वारा शनिवार को रेल रोको–डहर रोको आंदोलन किया गया, जिसका चरही क्षेत्र में व्यापक असर रहा।
रेलवे स्टेशन और पटरियों पर उमड़ी भीड़ के आगे प्रशासन की व्यवस्था धरी की धरी रह गई। निषेधाज्ञा लागू होने के बावजूद हजारों लोग विभिन्न स्थानों पर जुटे।
प्रशासन बेबस दिखा, जिसका खामियाजा रेल यात्रियों को उठाना पड़ा। नतीजतन पदमा से चरही तक कई ट्रेनें खड़ी रहीं। यात्री पैदल ही बच्चों व सामान के साथ स्टेशन और हाल्ट से निकलते दिखे।
चरही में विधायक तिवारी महतो भी सैकड़ों समर्थकों के साथ पहुंचे और पटरी पर बैठकर खिचड़ी खाई। पटना-रांची वंदे भारत को रद करना पड़ा। आसनसोल-रांची इंटरसिटी सुबह 10 बजे से हजारीबाग स्टेशन पर ही खड़ी रही। वैसे ही कोडरमा-बरकाकाना पैसेंजर भी हजारीबाग स्टेशन से आगे नही बढ़ सकी।
बंद सड़क, मुस्तैद पुलिस, लेकिन जंगल के रास्ते पहुंचे लोग
चरही और आसपास के इलाकों में कुड़मी समाज की बड़ी आबादी है। इसी को देखते हुए प्रशासन ने स्टेशन जाने के रास्ते बंद कर दिए थे, लेकिन लोग जंगल के रास्ते स्टेशन पहुंच गए और ट्रैक पर बैठ गए।
इस दौरान बरकाकाना–कोडरमा पैसेंजर ट्रेन भी चरही में रोक दी गई। यात्री पैदल ही मुख्य सड़क पर आकर वाहनों से रवाना हुए।
ढोल-नगाड़ों संग उमड़ी भीड़
आंदोलन को सफल बनाने के लिए पहले से योजना बनाई गई थी। पुरुषों के साथ महिलाएं भी कंधे से कंधा मिलाकर शामिल हुईं। कई लोग ढोल-नगाड़ों और गाजे-बाजे के साथ स्टेशन पहुंचे और नाचते-गाते नजर आए।
विधायक तिवारी महतो के पहुंचते ही मंच पर उत्साह बढ़ गया। उन्होंने कहा कि जब तक केंद्र ठोस पहल नहीं करता, पटरी खाली नहीं की जाएगी। जगह-जगह आंदोलनकारियों के लिए भोजन का प्रबंध किया गया था। रेलवे मार्ग अवरुद्ध होने से एक्सप्रेस, पैसेंजर और मालगाड़ियों का परिचालन बाधित रहा। पुलिस-प्रशासन की कोशिशें नाकाम रहीं।
आदिवासी कुड़मी मंच के बैनर तले आंदोलन
आंदोलन आदिवासी कुड़मी मंच के बैनर तले हुआ। नेताओं का कहना है कि स्वतंत्रता से पहले उन्हें जनजाति का दर्जा प्राप्त था, लेकिन साजिश के तहत यह अधिकार छीन लिया गया। इस आंदोलन की तैयारी सप्ताह भर से चल रही थी। पुलिस ने बैरिकेटिंग और निषेधाज्ञा लगाई थी, बावजूद इसके लोग जंगल के रास्ते अहले सुबह से स्टेशन पहुंचने लगे।
सक्रिय रहे ये लोग
आंदोलन में परमेश्वर महतो, दशरथ महतो, छात्रधारी महतो, प्रभात कुमार, खेमलाल महतो, किशुन महतो, रामसेवक महतो, नीलकंठ महतो, फुलेश्वर महतो, बालेश्वर महतो, सुरेश महतो, महेश महतो, अरुण महतो, नरेश महतो, मुंशी महतो, किशोर महतो, रवि कुमार महतो, वासुदेव महतो, गंगा प्रसाद, प्रदुमन महतो, रविंद्र महतो, प्रभुनाथ महतो, योगेंद्र महतो, शशि कुमार, लालचंद महतो, अजय महतो, निरंजन महतो, दीप नारायण महतो, देवकी महतो, बृज बिहारी महतो, चौलेश्वर महतो, मुकेश महतो, प्रमोद महतो, गोविंद महतो, रमेश महतो, दिनेश महतो, गणेश महतो, अशोक महतो, ललिता देवी समेत बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल रहीं।
विधायक निर्मल महतो भी पहुंचे स्टेशन
मांडू विधायक निर्मल उर्फ तिवारी महतो ने भी चरही स्टेशन पर पहुंचकर आंदोलन को जायज ठहराया। स्टेशन पुलिस छावनी में तब्दील रहा।
एसडीपीओ बैजनाथ प्रसाद, सीसीआर डीएसपी मनोज कुमार सिंह, बीडीओ सह सीओ ललित राम, चरही थाना प्रभारी कुंदन कांत विमल समेत पुलिस-प्रशासन की टीम तैनात रही। समाचार लिखे जाने तक कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं थी।
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