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विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति का छात्रों ने किया घेराव, अस्सी हजार छात्रों का भविष्य चौपट करने का आरोप

राज्य के टॉप विश्वविद्यालयों में से एक विनोबा भावे विश्वविद्यालय द्वारा जल्दबाजी में लिए गए निर्णय छात्रों पर भारी पड़ना लगे हैं। आरोप तत्कालीन कुलपति गुरदीप सिंह पर है जिनके कार्यकाल में सीबीसीएस सेमेस्टर सिस्टम 2015 में लागू करते हुए 2019 तक एक पेपर जेनरिक की पढ़ाई प्रारंभ हुई थी।

By arvind ranaEdited By: Mohit TripathiPublished: Wed, 22 Mar 2023 11:25 PM (IST)Updated: Wed, 22 Mar 2023 11:25 PM (IST)
विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति का छात्रों ने किया घेराव, अस्सी हजार छात्रों का भविष्य चौपट करने का आरोप
छात्रों ने कुलपति का किया घेराव, 80,000 छात्रों का भविष्य चौपट करने का आरोप।

संवादसूत्र, हजारीबाग: राज्य के टॉप विश्वविद्यालयों में से एक विनोबा भावे विश्वविद्यालय द्वारा जल्दबाजी में लिया गया एक निर्णय छात्रों पर भारी पड़ने लगा है। आरोप तत्कालीन कुलपति गुरदीप सिंह पर है, जिनके कार्यकाल में सीबीसीएस सेमेस्टर सिस्टम 2015 में लागू करते हुए 2019 तक एक पेपर जेनरिक की पढ़ाई प्रारंभ हुई थी।

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छात्रों को नियुक्तियों से होना पड़ रहा बाहर

छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय की इस गलती के कारण स्नातक और बीएड कर चुके करीब 80 हजार छात्रों को शिक्षक नियुक्ति, टीजीटी, लैब असिस्टेंट जैसे नियुक्तियों से बाहर होना पड़ रहा है। परिणाम स्वरूप बुधवार को भारी संख्या में नाराज छात्रों ने कुलपति का घेराव किया और इसका विकल्प पर विचार करने की बात कहीं।

प्रशासनिक भवन के सामने जमकर की नारेबाजी

इससे पहले जुलूस की शक्ल में विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन के समक्ष पहुंचे सैकड़ों छात्रों ने जमकर नारे लगाए और विरोध प्रदर्शन किया। हंगामा कर रहे छात्रों ने करीब एक घंटे तक कुलपति के वाहन को घेरे रखा और उन्हें बाहर नहीं आने दिया।

परीक्षानियंत्रक ने छात्रों के प्रतिनिधिमंडल से की मुलाकात

बाद में किसी तरह मामला शांत कराने के बाद एक प्रतिनिधि मंडल से परीक्षा नियंत्रक ने मुलाकात की और उनकी समस्याओं को सूना। छात्र नेता जीवन यादव ने बताया कि यूनिवर्सिटी की गलती के कारण उनका भविष्य बर्बाद हो रहा है।

इस विषय को लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन को कई बार मांग पत्र सौंपा गया था लेकिन कोई उचित कार्यवाही नहीं हुई, जिसके कारण उन्हें प्रदर्शन करने के लिये विवश होना पड़ा है।

विश्वविद्यालय का आश्वासन, राजभवन से तलाशा जाएगा विकल्प

छात्र प्रतिनिधियों से वार्ता करने आए यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि इस गंभीर विषय से वे राज्यपाल ,उच्च शिक्षा विभाग और शिक्षा सचिव को अवगत कराएंगे। परीक्षा नियंत्रक स्वयं इस विषय पर जाकर संदर्भित अधिकारियों से मिलेंगे और उचित कार्यवाही की मांग करेंगे।

वार्ता के दौरान रुसा के नोडल पदाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर के अलावा अन्य पदाधिकारी शामिल थे। मौके पर उपस्थित छात्र प्रतिनिधियों ने कहा कि यदि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दिए गए आश्वासन पर अविलंब कार्यवाही नहीं होती है तो जल्द ही वे यूनिवर्सिटी का घेराव करेंगे।

इस तरह समझें विश्वविद्यालय की गड़बड़ी और छात्रों की परेशानी

सीबीसीएस समेस्टर लागू होने के बाद छात्रों को कोर पेपर के साथ एक जेनरिक पेपर की पढ़ाई कराई गई। 2019 तक के स्नातक छात्र इस व्यवस्था से पढ़ाई पूरी की।

अब समस्या यह है कि जो छात्र बीएड या एमएड चुके हैं, वे अब शिक्षक नियुक्ति में पीजीटी, टीजीटी, केंद्रीय विद्यालय में लैब सहायक जैसे अन्य नियुक्तियों में योग्य नहीं होंगे। यही कारण है कि छात्र फॉर्म भरने से वंचित होने पर विश्वविद्यालय के खिलाफ नाराजगी व्यक्त कर रहे है।


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