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    हजारीबाग में जल जीवन मिशन के संवेदक कर्ज में डूबे, गांव-गांव में अधूरे ढांचे बने अब शोभा की वस्तु

    Updated: Sun, 28 Sep 2025 05:30 AM (IST)

    हजारीबाग जिले में जल जीवन मिशन योजना पिछले डेढ़ साल से ठप पड़ी है जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानी हो रही है। धनराशि की कमी के कारण कई निर्माण कार्य अधूरे पड़े हैं और संवेदक आर्थिक संकट में हैं। ग्रामीणों को पानी के लिए कुओं और हैंडपंपों पर निर्भर रहना पड़ रहा है जबकि जनप्रतिनिधियों की चुप्पी चिंता का विषय बनी हुई है।

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    जल जीवन मिशन के संवेदक कर्ज में डूबे। (फोटो जागरण)

    विनय कुशवाहा, हजारीबाग। हजारीबाग जिले में घर-घर नल से जल पहुंचाने का सपना अधूरा रह गया है। जल जीवन मिशन की महत्वाकांक्षी योजनाएं पिछले डेढ़ साल से ठप पड़ी हुई हैं।

    संवेदकों को भुगतान नहीं मिलने से अधर में लटके काम अब ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। कहीं पानी की टंकी अधूरी खड़ी है, कहीं बोरिंग अधूरा है तो कहीं पाइपलाइन डालकर काम रोक दिया गया है।

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    गांव-गांव में अधूरे ढांचे अब शोभा की वस्तु बनकर खड़े हैं। ग्रामीणों को नल से पानी की एक बूंद भी नसीब नहीं हो रही। शुरू में तेजी से काम शुरू हुआ था, लेकिन तीसरी किस्त की राशि जारी नहीं होने के कारण योजनाएं बीच राह में रुक गईं।

    बताया जाता है कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय से सितंबर माह में ही फंड मिलने की उम्मीद थी। राज्य सरकार ने करीब 1200 करोड़ रुपये की मांग की है, लेकिन राशि अब तक जारी नहीं हो सकी। किंतु धनराशि न मिलने से हजारीबाग समेत पूरे राज्य में यह योजना राष्ट्रीय औसत से करीब 25 प्रतिशत पीछे चल रही है।

    अधर में फंसे काम, ग्रामीण त्रस्त

    जिले के कटकमदाग, इचाक, बरही, पदमा और चौपारण प्रखंड की स्थिति लगभग एक जैसी है। कई गांवों में पाइपलाइन बिछा दी गई, लेकिन पानी अब तक नहीं आया। ग्रामीणों का कहना है कि डेढ़ साल से काम पूरी तरह ठप पड़ा है। गांवों में लोग अब भी कुएं और हैंडपंप पर निर्भर हैं। शहर के मोहल्लों में भी जलापूर्ति प्रभावित है।

    संवेदक कर्ज में डूबे

    योजना ठप होने से सबसे ज्यादा संकट में संवेदक हैं। उन्होंने बैंकों से कर्ज लेकर काम किया था। कई संवेदक अब डिफाल्टर घोषित हो चुके हैं। कुछ ने समितियों और रिश्तेदारों से पैसा उधार लिया, तो कुछ ने निजी स्तर पर कर्ज उठाया।

    लेकिन भुगतान न मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है। संवेदक कहते हैं कि दुर्गा पूजा का समय भी फीका गुजर रहा है।

    राशि अटकने से बिगड़ी छवि

    सूत्र बताते हैं कि जब केंद्रीय टीम हजारीबाग पहुंचती है तो अधूरे काम देखकर नकारात्मक रिपोर्ट जाती है। यही कारण है कि आगे की किस्त भी अटक जाती है। जिले की छवि धूमिल हो रही है। इस पूरे मामले में सबसे बड़ी चिंता यह है कि न तो सांसद बोल रहे हैं, न विधायक और न ही अन्य जनप्रतिनिधि।

    ग्रामीण रोज पानी की समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन नेताओं की चुप्पी सवाल खड़े कर रही है। चंद्रदेव महतो ने बताया कि उन्होंने पूरी ईमानदारी से पाइपलाइन और स्ट्रक्चर का काम किया, लेकिन डेढ़ साल से भुगतान नहीं हुआ। बैंक का कर्ज और हर माह डेढ़ लाख रुपये ब्याज चुकाना अब असंभव हो गया है।

    राजेश महतो ने कहा कि बैंक से लगातार नोटिस आ रहे हैं। रोज घर में चिंता का माहौल है। लीलाधर प्रजापति ने बताया कि समिति से पैसा उठाकर काम किया था, लेकिन अब लोग पैसा मांग रहे हैं और वे हाथ जोड़कर खड़े हैं।

    श्याम किशोर प्रसाद ने कहा कि घर की स्थिति दयनीय हो गई है। परिवार रोज पूछता है कि पैसा कब मिलेगा, लेकिन वे भी बेबस हैं। धनेश्वर साव ने कहा कि गांव में टंकी खड़ी कर दी, पाइपलाइन बिछा दी, लेकिन भुगतान का इंतजार करना पड़ रहा है।

    अखिलेश नायक ने कहा कि बच्चों की स्कूल फीस तक भरना मुश्किल हो गया है। राजकिशोर प्रसाद ने बताया कि बैंक ने उन्हें डिफाल्टर घोषित कर दिया है। उमेश कुमार यादव ने कहा कि उन्होंने रिश्तेदारों और निजी उधार से काम पूरा किया, लेकिन अब न पैसा लौटा पा रहे हैं और न नया काम कर पा रहे हैं।

    समिति से पैसे लेकर काम किया था। अब लोग पैसा मांग रहे हैं, लेकिन हमारे पास लौटाने को कुछ नहीं है। स्थिति बेहद खराब है। - लीलाधर महतो, संवेदक