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    Hazaribagh News: मां दुर्गा के प्रति अनोखी भक्ति, सीने पर पांच कलश स्थापित कर भक्ति में लीन

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 06:39 PM (IST)

    हजारीबाग के टाटीझरिया में दुर्गा कुमार नामक एक भक्त ने नवरात्र में अपने सीने पर पाँच कलश स्थापित कर मां दुर्गा की आराधना कर रहे हैं। उन्होंने अन्न-जल का त्याग कर दिया है और उनका परिवार इस कार्य में सहयोग कर रहा है। दुर्गा कुमार का कहना है कि वे विश्व कल्याण के लिए यह कठोर तप कर रहे हैं।

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    सीने पर पांच कलश स्थापित कर मां दुर्गा की उपासना में लीन हैं भक्त। फोटो जागरण

    मिथिलेश पाठक, टाटीझरिया (हजारीबाग)। नवरात्र में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। सनातन धर्मावलंबियों द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है, तो कई भक्त अपने घरों में सुख, समृद्धि, शांति और खुशहाली के लिए कलश स्थापित कर श्री दुर्गा सप्तशती की पाठ करते हैं।

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    कई लोग भक्ति में इतना लीन हो जाते हैं कि कोई केवल जल पीकर तो कई एक टाइम अल्पाहार कर नौ दिनों तक उपासना में रहते हैं। इन सब से अलग प्रखंड क्षेत्र में एक भक्त अपने सीने पर पांच कलश स्थापित कर बिना अन्न -जल ग्रहण किए मां दुर्गा की आराधना में रमे हुए हैं।

    प्रखंड क्षेत्र के धरमपुर में 39 वर्षीय दुर्गा कुमार, पिता स्व गोपाल प्रसाद, नवरात्र में प्रतिपदा को शक्ति की आराध्य देवी मां दुर्गा की पूजा -अर्चना कर कलश अपने सीने पर स्थापित कर लिया है, जो दशमी तिथि को विसर्जित होगा।

    इस बीच प्रतिदिन उनके घर पर श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ और माता के विविध रूपों की पूजन और आरती की जा रही है। पूजा श्री कुमार के बेटे राजकुमार करते हैं।

    उनके इस कार्य में घर का पूरा परिवार लगा हुआ है। दुर्गा की पत्नी ममता देवी, बेटी वैष्णवी, मां सरस्वती, कृष्णा साव समेत अन्य पारिवारिक सदस्य प्रतिदिन पूजन का कार्य कर रहे हैं।

    घर का माहौल बिल्कुल भक्तिमय है। दुर्गा बताते हैं कि कलश स्थापना के दो दिन पूर्व से वे खाना त्याग दिए हैं और दस दिनों तक अपने सीने पर कलश लेकर मां की आराधना करते रहेंगे।

    बताया कि वे अपने घर -परिवार और विश्व के कल्याण के उद्देश्य से यह कठोर तप करने का निर्णय लिया। मां उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरणा दी है, तभी यह संभव हो पाया है।

    वे पेशे से हाईवा ड्राइवर हैं। उनके घर पर प्रतिदिन महिलाओं की भजन मंडली पहुंचती है, जो मां के गीत गाकर वातावरण भक्तिमय कर देते हैं।