छड़वा डैम का फाटक टूटने से बाढ़ का खतरा, जल संकट और मछलीपालन पर संकट
हजारीबाग के कटकमसांडी प्रखंड का छड़वा डैम खतरे में है। लगातार बारिश से जलस्तर बढ़ने और एक फाटक टूटने से निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। मछली पालन को भारी नुकसान हुआ है क्योंकि करोड़ों की मछलियाँ बह गईं। हजारीबाग शहर और आसपास के क्षेत्रों में जलापूर्ति पर संकट गहरा गया है।

संवाद सूत्र, कटकमसांडी ( हजारीबाग)। कटकमसांडी प्रखंड का चर्चित छड़वा डैम इस समय संकट के दौर से गुजर रहा है। लगातार बारिश से जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया। इसी बीच डैम का एक फाटक टूट गया, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ और हादसे का खतरा गहरा गया है।
घटना की सूचना मिलते ही ओपी पेलावल थाना प्रभारी वेद प्रकाश पांडेय पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने डैम क्षेत्र में घेराबंदी कर दी और लोगों से अपील की कि कोई भी अंदर न जाए। थाना प्रभारी ने कहा—“फाटक जर्जर है, किसी भी क्षण दुर्घटना हो सकती है। लोग मछली पकड़ने या तैरने के लिए डैम में प्रवेश न करें।
मछलीपालन को बड़ा झटका
छड़वा डैम में मछलीपालन का ठेका लिए पप्पू कुशवाहा ने बताया कि नगर निगम से लीज मिलने के बाद मार्च-अप्रैल 2024 में करीब 25 लाख रुपये की मछली बीजा छोड़ी गई थी। फाटक टूटने से मछलियों का बड़ा हिस्सा बाहर निकल गया और करोड़ों का नुकसान हो गया।
उन्होंने कहा कि इसकी सूचना नगर निगम और जिला प्रशासन को फोन पर दे दी गई है और लिखित शिकायत भी जल्द दी जाएगी।
जलापूर्ति पर संकट गहराया
हजारीबाग शहर के साथ-साथ कंचनपुर, गदोखर और रोमी पंचायतों की पेयजल आपूर्ति छड़वा डैम से होती है। अब फाटक टूटने के बाद डैम में केवल 23 फीट पानी शेष रह गया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि फाटक की तत्काल मरम्मत नहीं हुई तो आने वाले दिनों में गंभीर जल संकट खड़ा हो सकता है।
प्रशासन की लापरवाही पर सवाल
कुछ ही दिन पहले उपायुक्त ने डैम का निरीक्षण किया था और सुंदरीकरण व भूमि सर्वे की रिपोर्ट मांगी थी। लेकिन वर्षों से जर्जर पड़े फाटक की मरम्मत नहीं कराई गई। अब ग्रामीणों और विशेषज्ञों का सवाल है कि
- आखिर समय रहते फाटक की मरम्मत क्यों नहीं हुई?
- प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी से ही यह संकट क्यों पैदा हुआ?
अब नजर प्रशासन पर
स्थानीय लोगों की निगाहें अब जिला प्रशासन पर टिकी हैं। देखना होगा कि डैम में बचे पानी की सुरक्षा, मछली पालन ठेकेदार के नुकसान की भरपाई और शहर-गांव की जलापूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।
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