कलम के जादूगर ने रचा था इतिहास
बेनीपुरी जयंती पर विशेष..
हजारीबाग : जंजीरे फौलाद की होती हैं, दीवारें प्त्थर की..। किंतु अच्छा हुआ कि भोर की सुनहली सुबह ने हजारीबाग सेंट्रल जेल की दीवारों का दीदार किया। कलम के जादूगर के नाम से विख्यात साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी ने अपने संस्मरण में उपरोक्त कथन का जिक्र किया है। 23 दिसंबर 1899 को उनका जन्म हुआ था, तथा स्वंतत्रता आंदोलन के दरम्यान लंबे समय तक उन्होंने अपना जीवन सेंट्रल जेल में बिताया। बेनीपुरी ने अपनी कारागार अवधि में ही हस्त लिखित पत्रिका, कैदी का संपादन 1930 किया था। 1944 में इसी स्थल पर रूसी क्रांति की रचना की। वहीं एक अन्य दूसरी हस्त लिखित पत्रिका तूफान 1942 में शुरू किया। पतितों के देश में पुस्तक लिखने के बाद उन्होंने अंबपाली की रचना की जो साहित्य जगत की अमूल्य धरोहर है। बेनीपुरी के बारे में कहा जाता है कि उनकी रचनाओं के कौमा तथा फुलस्टॉप तक बोलते हैं। भारत छोड़ो आंदोलन के समय जयप्रकाश नारायण के सेंट्रल जेल से फरारी के सूत्रधार रामवृक्ष बेनीपुरी ही थे। उन्होंने 9 नवंबर 1942 को जेल में लगभग तीन घंटे तक कार्यक्रम का आयोजन कर जेल प्रशासन का ध्यान दूसरी ओर लगा दिया था। जिसका लाभ उठाकर जेपी सहित अन्य क्रांतिकारी जेल से भागे थे। 42 सालों से जल रहे 42 दीप की परिकल्पना बेनीपुरी ने ही की थी। वर्ष 2000 में सेंट्रल जेल में एक बड़ा कार्यक्रम का आयोजन हुआ था जिसमें बेनीपुरी के पुत्र अवकाश प्राप्त लेफ्टिनेंट जितेंद्र बेनीपुरी सपत्नीक पधार कर उनके चित्र पर माल्यार्पण किया था। हिंदी के प्रख्यात आलोचक डा. नामवर सिंह जब 2008 में विभावि के हिंदी कार्यक्रम में शिरकत करने आए थे तो वे सेंट्रल जेल बेनीपुरी सहित अन्य रचनाकारों के कारावास कक्ष देखने पहुंचे थे। हिंदी साहित्य के कई शोधार्थी छात्र बेनीपुरी पर पीएचडी करने के दौरान यहां आते रहते हैं। वही साहित्य प्रेमी यहां आकर उनका प्रत्यक्ष अहसास करते हैं।
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