महोत्सव में समायी है कोनार नदी की सार्थकता
प्रमोद कुमार, केके ¨सह, हजारीबाग: तीन दिवसीय कोनार महोत्सव की तैयारी पूरी हो चुकी है। महोत्सव का ना
प्रमोद कुमार, केके ¨सह, हजारीबाग: तीन दिवसीय कोनार महोत्सव की तैयारी पूरी हो चुकी है। महोत्सव का नामकरण हजारीबाग की प्राचीन नदी कोनार के नाम पर किया गया है। इसमें कई संदेश निहित हैं। क्षेत्र की कला, संस्कृति, धरोहर, सभ्यता व विरासत को अक्षुण्ण रखना इस महोत्सव का उद्देश्य बताया गया है। वर्षो तक शहरवासी सिर्फ कोनार पुल अथवा कोनार डैम के नाम की ही चर्चा करते थे, लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि कोनार नदी का स्त्रोत कटकमदाग प्रखंड के सलगा गांव के जंगल से एक छोटे से स्रोत से निकली है।
कोनार नदी का उदगम स्थल
कोनार नदी पर भले ही विराट डैम का निर्माण 1955 में हुआ, लेकिन इसका उदगम स्थल सुल्ताना गांव से सटे सलगा गांव के दक्षिण पश्चिम जंगल में है। एक खेत से प्रस्फुटित हुई पतली धार लगभग 52 किमी की यात्रा तय करते हुए एक राष्ट्रीय स्तर के डैम के निर्माण में सहायक होती है, यह आश्चर्यजनक और कौतूहल का विषय है। सुल्ताना, सलगा, केसरिया, तिलैया, बरका, बानादाग, कुसुंभा, ढेगुरा, सिरसी, बभनवै, हरनगंज, पतरातू होते हुए लगभग 50 किमी की दूरी तय कर कोनार नदी विष्णुगढ़ पहुंचती है। इसी स्थल पर निर्मित डैम पिछले 61 वर्षो से किसानों के लिए संजीवनी बना हुआ है।
कोनार नाम नहीं, क्षेत्र की पहचान
कोनार महोत्सव के आगाज ने कई नए तथ्य उजागर किए हैं। इसने सामाजिक, आर्थिक, भौगोलिक, अध्यात्मिक, पर्यटन के क्षेत्र में नए तथ्यों को उजागर किया है।
पंडित जवाहर लाल नेहरू किया था उदघाटन
कोनार बांध, दामोदर घाटी निगम की वैसी दूसरी बहुउदेश्यी योजना है जिसका उदघाटन प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था। तिलैया, कोनार, मैथल और पंचेत चार बडे बांध निर्मित हुए थे। कोनार नदी के बायीं ओर सिवाने और दायीं दिशा में बोकारो नदी प्रवाहित होती है। इसकी प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है।
आर्थिक स्वावलंबन का प्रेरक -
कोनार नदी कई मायने में आर्थिक रूप से स्वावलंबी होने की प्रेरणा देता है। कृषि, मत्स्य पालन, पर्यावरण रक्षक, पर्यटन, वन संरक्षण के लिए इसकी उपयोगिता लोगों के लिए ऑक्सीजन की तरह हो गयी है।
हजारीबाग में होगी पेय जलापूर्ति -
हजारीबाग शहर के नागरिकों के लिए पेय जलापूर्ति कोनार डैम से ही किया जाएगा। इस आशय का प्रस्ताव पारित हो गया है तथा शीघ्र ही इस पर काम शुरू होगा। कोनार महोत्सव से निश्चित तौर पर कोनार नदी के तट पर हो रहे अतिक्रमण से मुक्ति मिलेगी।
- कोनार महोत्सव के आयोजन की पीछे अपने समृद्ध और गौरवपूर्ण धरोहर को याद करना है। हजार बागों का होना अगर हजारीबाग की विशेषता रही है तो कोनार जैसी नदी इस बाग को हरितीमा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। आज इसके उद्गम स्थल से लेकर अंत तक की गई यात्रा को जानना समझना आने वाली पीढ़ी के लिए जरुरी है। जल ही जीवन है। यह कथन प्रतिशत साबित होने जा रहा है, क्योंकि हजारीबाग में जलापूर्ति भविष्य में कोनार डैम से होनी जा रही है- मुकेश कुमार, उपायुक्त हजारीबाग
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