रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन के आज पूरे हुए 75 साल
प्रमोद/मासूम, हजारीबाग : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का महत्वपूर्ण अधिवेशन 18 से 20 मार्च तक 1940 में
प्रमोद/मासूम, हजारीबाग : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का महत्वपूर्ण अधिवेशन 18 से 20 मार्च तक 1940 में रामगढ़ में हुआ था। दामोदर नदी के किनारे जंगलों की झुरमुट में सैकड़ों पंडाल लगाए गए थे। जो राष्ट्रीय स्तर के नेताओं का निवास था। महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे तमाम नेताओं की भागीदारी हुई थी। अधिवेशन की अध्यक्षता मौलाना अबुल कलाम आजाद ने की थी जिनकी जोशीली तकरीर से लोगों में उर्जा, ओज और उत्साह का संचार हुआ था। रामगढ़ अधिवेशन में ही भारत छोड़ों आंदोलन की नींव पड़ी जिसके साढ़े 6 साल बाद देश को आजादी मिली।
बापू ने किया था प्रदर्शनी का उद्घाटन
महात्मा गांधी उक्त अधिवेशन में स्वंय पधारे थे। वह रांची से फिटिन गाड़ी में रामगढ़ पहुंचे तथा अधिवेशन स्थल पर लगायी गयी प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था। बापू ने उपस्थित महिलाओं से पर्दा प्रथा, छूआछूत, अशिक्षा, अंधविश्वास जैसी कुरीतियों से जेहाद करने की अपील की थी। तीन दिनों तक चलने वाले अधिवेशन में मूसलाधार बारिश के कारण भारी परेशानी का समना करना पड़ा था।
नेता जी ने किया था समानांतर अधिवेशन
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भी कांग्रेस की नीतियों के खिलाफ रामगढ़ में समानांतर अधिवेश किया था तथा पूरे नगर में एक विशाल शोभा यात्रा निकली थी। इसमें महंथ धनराज पुरी, कैप्टन शाहनवाज खां, कैप्टन लक्ष्मी बाई सहगल, शीलभद्र जैसे दिग्गज लोग शामिल हुए थे। सुभाष चंद्र बोस रांची से रामगढ़ आए थे। नेताजी के साथ उनके निकट सलाहकार डा. यदु मुा मुखर्जी व कई अन्य नेता भी थे।
स्थानीय नेताओं की हुई थी भागीदारी
सम्मेलन में स्थानीय नेताओं की काफी संख्या में भागीदारी हुई थी। डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि हजारीबाग के रामनारायण सिंह की इच्छा थी कि कांग्रेस का अधिवेशन रामगढ़ में हो, इसलिए इस स्थल को चुना गया। राजा रामगढ़ ने इसे सफल बनाने में तन-मन-धन से सहयोग दिया था। केबी सहाय, सरस्वती देवी, सुखलाल सिंह, केशव प्रसाद सिंह समेत तमाम नेताओं ने इसे सफल बनाने में सहयोग दिया।
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