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    Sabji Ki Kheti: झारखंड में इस खेती से मालामाल हो सकते हैं किसान, बड़े स्तर पर मिल रही ट्रेनिंग

    Updated: Mon, 17 Feb 2025 06:19 PM (IST)

    किसानों खेती से झारखंड में मोटी कमाई कर सकते हैं। मशरूम की खेती किसानों के लिए आय का एक बेहतर साधन बन रहा है। इसके कई उदाहरण सामने आए हैं। विकास भारती बिशुनपुर के द्वारा जिले के किसानों को मशरूम की खेती के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस खेती में कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    जागरण संवाददाता, गुमला। जिले के किसानों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने को लेकर नाबार्ड वाड़ी परियोजना पर विकास भारती बिशुनपुर के द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है।

    इसे लेकर जिले के किसानों को धान व गेहूं की खेती के अलावे अन्य खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। ताकि किसानों का आय में वृद्धि हो सके।

    यहां के किसानों को दिया गया प्रशिक्षण

    • जिले के बिशुनपुर प्रखंड के बेंदी, चंपाटोली, चिंगरी, जेहनगुटवा के किसानों को एक दिवसीय मशरूम की खेती के लिए प्रशिक्षण दिया गया।
    • जहां प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए विकास भारती के संयुक्त सचिव महेंद्र भगत ने कहा कि मशरुम की खेती सामान्य तापमान में होती है।
    • यदि हम तापमान को मेंटेन कर लेते हैं तो मशरूम की खेती में कोई परेशानी नहीं होगी। एक कमरे के अंदर 200 मशरूम के बैग आसानी से लगाया जा सकता है।
    • इसमें 5000 रुपए तक का खर्चा आता है और 15 हजार से 20000 हजार का मुनाफा आसानी से मिल सकता है। कृषि विज्ञान केंद्र विकास भारती बिशुनपुर के वैज्ञानिक सुनील कुमार ने कहा कि प्रशिक्षण का उद्देश्य किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है।

    फसल में आती ऐसी समस्या

    वहीं, ट्रेनर राजीव कुजूर ने बताया कि मशरूम की खेती के दौरान फसल को बाईट मोल्ड, ग्रीन मोल्ड और येलो मोल्ड बीमारी हो सकती है।

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    इन बीमारियों के कारण मशरूम का रंग बदल जाता है। पैदावार कम हो जाती है। इन बीमारियों से खेती को बचाने के लिए शेड में पानी और आक्सीजन को बनाए रखना बेहद जरूरी हो जाता है।

    मौके पर नाबार्ड परियोजना के नोडल अधिकारी सुमंत ने बताया कि गुमला जिले में मशरूम की खेती को बढ़ावा दिए जाने के लिए नाबार्ड परियोजना के द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। मशरूम की खेती से वें अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।

    एग्रीकल्चर मार्केटिंग से खेती कांटेक्ट फार्मिंग में बदलने की साजिश: हीरा

    बरकाकाना (रामगढ़) में अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का. हीरा गोप ने प्रेस बयान जारी कर कहा कि झारखंड राज्य परिषद की बैठक में कृषि, किसान, सिंचाई,पर्यावरण, जल जंगल जमीन वन अधिकार कानून 2006 विस्थापन सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई, और इसे लेकर मुखर होने का निर्णय लिया गया है।

    उन्होंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर हुए हादसे पर दुख: व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना रेलवे की नाकामी और सरकार की असंवेदनशीलता को उजागर करती है।

    उन्होंने कहा कि रेल मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए, वहीं हादसे में मारे गए श्रद्धालुओं को केंद्र सरकार 50-50 लाख रुपये मुआवजा दे।

    उन्होंने केंद्र सरकार की न्यू पॉलिसी फ्रेमवर्क आफ एग्रीकल्चर मार्केटिंग यह स्कीम पूर्व के तीन कृषि कानून की तरह है। यह पूरी तरह से किसान और कृषि के विरोध में है सारे प्रावधान तीन कृषि कानून की तरह ही है।

    केंद्र सरकार षड्यंत्र करके एनपीएफएएम के माध्यम से एग्रीकल्चर मार्केटिंग में निजी कंपनियों को घुसाने की साजिश कर रही है। खेती को कांटेक्ट फार्मिंग बदलने की साजिश की जा रही है।

    इस स्कीम के तहत किसानों को कंपनी जो कहेगी वही फसल उगाना होगा तीन कृषि कानून की तरह इसका भी विरोध किया जाएगा।

    बैठक में हजारीबाग के बड़कागांव कोल् प्रोजेक्ट के विषय में भी चर्चा हुई , कोल प्रोजेक्ट को लेकर एक बड़ा एक बड़ा आंदोलन अप्रैल महीने में हजारों की संख्या में हजारीबाग से बड़कागांव पैदल मार्च करने का निर्णय लिया है।

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