सजधज कर तैयार बाबा टांगीनाथ धाम, पहुंचेंगे शिवभक्त
उदय साहू डुमरी (गुमला) बाबा टांगीनाथ धाम को महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में पूरी तरह सजाया ...और पढ़ें

उदय साहू, डुमरी (गुमला) : बाबा टांगीनाथ धाम को महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में पूरी तरह सजाया गया है। जहां धाम परिसर के समस्त मंदिरों का दृश्य रंगरोगन के बाद श्रद्धालुओं को आकर्षित करता दिखाई पड़ रहा है। वहीं भक्तों व धाम स्थल की सुरक्षा को चाक चौबंद रखने हेतु पूरे मंदिर परिसर में सीसीटीवी कैमरे से निगरानी रखी जा रही है। साथ ही जगह-जगह पर बैरिकेटिग लगाकर भीड़ को नियंत्रित करने हेतु अनेकों वोलेंटियर्स व पुलिस बल भी तैनाती की गई है। बाबा टांगीनाथ धाम विकास सह मेला समिति के लोगों ने भक्तों को होने वाली कठिनाइयों के मद्देनजर इस बार और बेहतर इंतजाम करने के प्रयास किए हैं। पूरा धाम परिसर तार कि जाली से घिरा हुआ है। धाम परिसर के नीचे स्नानागार व शौचालय की व्यवस्था के भी व्यापक इंतजाम किए गए हैं। मंदिर की भव्यता और सुंदरता देखते ही मन में भक्ति का सागर उमड़ पड़ता है। पांचवीं छठी शताब्दी से भी पूर्व के बताए जाने वाले इस धार्मिक धरोहर में सदियों से महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में भव्य मेला का आयोजन होता रहा है, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं का आवागमन होता है। देश के भिन्न भिन्न राज्यों से भक्त यहां अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति करने हेतु पधारते हैं। यहां का मुख्य आकर्षण का केंद्र विशालकाय अक्षय त्रिशूल जो भगवान परशुराम का बताया जाता है। किवदंतियों के अनुसार भगवान परशुराम की तपोभूमि के रूप में विख्यात है। आपरूपी निकले सैंकड़ों शिवलिग इस धाम को सुशोभित करते हैं। खुले स्थान में विराजित विशालकाय त्रिशूल जिसपर किसी भी मौसम का कोई असर नहीं होता, न ही इस पर कभी जंग लगती है।
धाम परिसर के इर्द-गिर्द देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि कालांतर में यह धाम कोई बहुत ही भव्य मंदिरों एवं पाषाणिक मूर्ति कलाओं का केंद्र रहा होगा जो प्रलय काल के दौरान जमींदोज हो गया हो, जिसका स्वरूप धीरे धीरे खुदाई के माध्यम से ²ष्टिगोचर होता जा रहा है। अभी भी संभावना व्यक्त की जाती है कि यहां खुदाई करने पर अनेकों रहस्य सामने आ सकते हैं। साथ ही पहाड़ी के ऊपर मूर्ति निर्माण के साक्ष्य आज भी देखे जा सकते हैं। यहां निर्मित मूर्तियां भगवान विश्वकर्मा की शिल्पकला का साक्षात उदाहरण प्रस्तुत करती है। झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा में अवस्थित ये प्राचीन धार्मिक स्थल पहाड़ी के उपर विराजमान होने से निरंतर अपनी मनोरम छंटा से श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।

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