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माता अंजनी ने इस जगह दिया था वीर हनुमान को जन्‍म, आज भी गुफा के अंदर जाने से डरते हैं लोग; सप्‍त ऋषियों का भी था वास

हनुमान जी पूरे देश में पूजे जाते हैं लेकिन बहुत कम लोगों को ही पता है कि उनका जन्‍म असल में कहां हुआ है। हनुमान जी झारखंड के गुमला में पैदा हुए थे। गुमला जिले से 18 किमी दूर अंजनी गांव में एक गुफा है जहां माता अंजनी ने बाल हनुमान को जन्‍म दिया है। हालांकि इस गुफा के अंदर आज भी लोग घुसने का साहस नहीं करते हैं।

By Jagran News Edited By: Arijita Sen Published: Mon, 22 Jan 2024 10:14 AM (IST)Updated: Mon, 22 Jan 2024 10:14 AM (IST)
गुमला में हुआ था वीर हनुमान का जन्‍म।

जागरण संवाददाता, गुमला। भारत के लोक देवता हनुमान की जन्मस्थली के बारे में देश नहीं जानता। जबकि हनुमान जी पूरे देश में पूजे जाते हैं। देश को यह पता चल जाए कि हनुमान झारखंड के गुमला जिले में जन्मे थे, तो यहां श्रद्धालुओं का तांता लग जाए। हनुमान का जहां जन्म हुआ वह गुमला जिले से 18 किमी दूर अंजनी गांव में है। इस गांव का नाम हनुमान की मां अंजनी के नाम पड़ा है।

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इसी गुफा में माता अंजनी ने दिया था हनुमान जी को जन्‍म

यहां से चार किमी की दूरी पर अंजनी गुफा है जो बहुत आकर्षक है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में इस गुफा में हनुमान जी की मां रहती थीं और यहीं पर उन्होंने हनुमान को जन्म दिया था।

अंजनी गुफा के पास एक प्रतिमा भी है, जिसमें अंजनी हनुमान को गोद में लिए हुए हैं। अंजनी गुफा से ऐतिहासिक महत्व की कई दुर्लभ वस्तुएं मिली हैं। इन वस्तुओं को पटना संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है।

कई ऋणि-मुनि यहां बना चुके हैं अपना आश्रम

आंजन धाम बहुत दिनों से उपेक्षित था। सरकार ने अब भी कोई विशष ध्यान नहीं दिया है। रांची की कुछ संस्थाएं हनुमान जयंती पर वहां विशेष आयोजन करती हैं। आंजन को प्रकृति ने जहां तीन ओर से नेतरहाट पहाड़ी शृंखला से घेर रखा है। वहीं एक ओर खरवा नदी ने।

पश्चिम में नेतरहाट की सुरम्य पहाड़ी है जो उत्तर की ओर मुड़ जाती है। दक्षिण में खटवा नदी कलकल बहती रहती है। कहा जाता है कि आंजन एक प्राचीन धर्म स्थल है। आंजन पहाड़ी पर स्थित गुफा में रामायण युगीन ऋषियों द्वारा जनकोलाहल से दूर शांति की खोज में स्थापित सप्त जनाश्रम में से एक होने की संभावना है।

ऋषियों ने वैसे स्थानों पर आश्रम स्थापित किए थे, जहां जीवन-यापन के लिए आवश्यक वस्तुओं की प्राप्ति आसानी से हो सके तथा जहां एकांत तथा पवित्रता हो व नागर लोगों का आवागमन अपेक्षाकृत कम हो।

यहां इन सप्‍त ऋषियों का था निवास

डा भुवनेश्वर अनुज ने लिखा है कि जनजातियों के यहां आश्रम बन चुके थे, जिन्हें सप्ताश्रम के नाम से जाना जाता था, जिसमें यहां की सात जनजातियां शबर, वानर, निषाद, गृद्ध, नाग, किन्नर तथा राक्षस के प्रमुख सप्त ऋषि निवास करते थे। आश्रम के प्रभारियों को कुलपति कहा जाता था।

कुलपतियों में अगस्त्य, अगस्त्य भ्राता, सुतीक्ष्ण, मांडकणि, अत्रि, शरभंग तथा मतंग के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं। छोटानागपुर के कम से कम दो स्थानों आंजन एवं टांगीनाथ में ऐसे आश्रम प्रस्थापित थे।

गुफा के अंदर घुसने का नहीं करते लोग साहस

अंजनी माता की ग्राम देवी की तरह भी पूजा होती है। इनकी पूजा आदिवासी, गैर आदिवासी, सदान सभी करते हैं। अंजनी माता जिस गुफा में रहा करती थीं, उसका प्रवेश द्वार एक विशाल पत्थर की चट्टान से बंद है। अंजनी माता के भक्त द्वार के एक छोटे छिद्र से अक्षत एवं पुष्प अंदर चढ़ाते हैं।

लोगों का विश्वास है कि गुफा अंदर 1500 फीट से अधिक लंबा है। इस गुफा मार्ग से होकर माता अंजनी कभी-कभार खटवा नदी तक जाती थीं और स्नान कर लौट आती थीं। हालांकि कोई साहस नहीं करता कि गुफा के अंदर प्रवेश करे।

आंजन गुफा से सटी एक पहाड़ी है, जिसे लोग धमधमिया पहाड़ी के नाम से जानते हैं। इस पहाड़ी का आकार बैल की तरह है। इसमें चलने पर एक जगह धम-धम की आवाज होती है। इससे अनुमान होता है कि इस पहाड़ी के नीचे खाली स्थल है।

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