दो किमी दूर स्थित डाड़ी बुझाती है ग्रामीणों की प्यास
संवाद सूत्र डुमरी सरकार बदली लेकिन सुविधा व्यवस्था में बदलाव नहीं आने के कारण जंगल से घ्ि ...और पढ़ें

संवाद सूत्र, डुमरी : सरकार बदली लेकिन सुविधा व्यवस्था में बदलाव नहीं आने के कारण जंगल से घिरे पहाड़ पर बसे गांवों में कोई बदलाव नहीं आया। डुमरी प्रखंड के मझगांव पंचायत में बसे लुचुतपाठ गांव में बुनियादी सुविधाओं का सर्वथा अभाव इस कथन को चरितार्थ कर रहा है। बुनियादी सुविधाओं के अभाव में इस गांव में रहनेवाले लोगों को बुनियादी सुविधा नहीं मिलने से परेशानियां बरकरार है। पहाड़ पर बसे इस गांव की मुख्य समस्या पेयजल की है।
गांव में हैं 150 घर : करीब डेढ सौ घरों की आबादी वाला यह गांव छत्तीसगढ़ की सीमा पर बसा हुआ है। बाबा टांगीनाथ धाम की पहाड़ी से पांच किमी ऊपर पहाड के बीचोबीच बसा हुआ है। लूचुतपाठ गांव में लोहरा, नगेशिया, किसान, उरांव, मुंडा एवं कोरवा समेत अन्य जातियों के लोग निवास करते हैं। यहां के निवासी आज भी एक से दो किमी दूर जाकर पानी का जुगाड़ डाडी और कुएं से करते हैं। गांव के स्कूल एवम आंगनबाड़ी के बच्चे भी डाड़ी का पानी पीने को विवश हैं। पूरे गांव के लोग लंबे समय से पेयजल की मांग करते आ रहे हैं।पिछले वर्ष गुमला एसपी रहे अश्विनी सिन्हा ने वहां के ग्रामीणों के बीच जरुरत की सामग्री विभाग की ओर से बांटी थी। ग्राम में जनता दरबार का आयोजन किया गया था। तब ग्रामीणों ने प्रमुखता से पेयजल की समस्या के समाधान की मांग उठायी थी। उन्हें भरोसा भी दिया गया था कि उपायुक्त से बात कर जल्द ही पानी की समस्या का समाधान किया जाएगा। मगर उनका अन्यत्र स्थानान्तरण हो गया। पंचायत में पीएचडी और अन्य विभागों ने पेयजल के नाम पर बड़ी राशि खर्चकर डाले लेकिन लुचुतपाठ गांव पर किसी का ध्यान नही दिया। प्रखंड मुख्यालय से करीब 12 किमी दूर लुचुतपाठ गांव विकास के मामले मे भी काफी पीछ छूट गया है।
मझगांव में जनता दरबार लगा था। प्रशासनिक अधिकारी गए थे। लेकिन जनता दरबार की सूचना इस गांव के लोगों को समय से नहीं मिला। जनप्रतिनिधियों ने भी इस गांव की समस्या समाधान का मुद्दा नहीं उठाया। अब गर्मी का आगाज होनेवाला है। पेयजल संकट गहराना तय है। इसी बात को लेकर गांव के लोग चिंतित और परेशान हैं।

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