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    तीर्थ स्थल बनकर रह गया जतरा टाना भगत का पैतृक गांव ¨चगरी

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 12 Aug 2018 09:55 PM (IST)

    अरुण गिरी, बिशुनपुर: बिशनपुर प्रखंड के ¨चगरी गांव गांधीवादी विचारधारा के स्वतंत्रता सेनानी

    तीर्थ स्थल बनकर रह गया जतरा टाना भगत का पैतृक गांव ¨चगरी

    अरुण गिरी, बिशुनपुर: बिशनपुर प्रखंड के ¨चगरी गांव गांधीवादी विचारधारा के स्वतंत्रता सेनानी जतरा टाना भगत के कारण काफी प्रसिद्ध है। जतरा टाना भगत से संबंधित कई सवाल जेपीएससी एवं कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में पूछा जाता है। यही नहीं गांव में झारखंड सरकार एवं केंद्र सरकार के कई अधिकारी एवं मंत्री का दौरा हो चुका है। परंतु गांव की बदहाली अभी दूर नहीं हुई है।आज यह गांव सिर्फ तीर्थस्थल बनकर रह गया है। जो लोगों के लिए भाषण देने का एक मंच है। यहां लोग जतरा टाना भगत के वीरता की कहानी की गुणगान करते थकते नही हैं।परंतु उनके पैतृक गांव का विकास के लिए अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है। यही नहीं इस महान स्वतंत्रता सेनानी के परिजन आज रोजगार के अभाव में दूसरे प्रदेशों में पलायन करने को मजबूर हैं तो कुछ बॉक्साइट ट्रकों में मजदूरी कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। सरकारी योजनाओं के लाभ की बात करें तो अब तक इनका आधार कार्ड एवं बैंक में खाता नहीं खुल पाया है। जिस कारण उन्हें कोई सरकारी योजना का लाभ भी नहीं मिल रहा है। गांव में आज भी ¨सचाई स्वास्थ्य जैसे बुनियादी सुविधा का अभाव है। गांव में जो विकास योजना हुई वह भी बिचौलिया का भेंट चढ़ गया। जिसे देखने वाला आज कोई नहीं है।

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    शहीद के मजार पर लगते हैं हर वर्ष मेले

    जतरा टाना भगत के पैतृक गांव ¨चगरी में उनका आदम कद प्रतिमा स्थापना विकास भारती द्वारा किया गया है। जहां पर प्रतिवर्ष गांधी जयंती के अवसर पर संस्था द्वारा मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान घाघरा से ¨चगरी मैराथन दौड़ एवं लोहरदगा से ¨चगरी साइकिल रेस तथा नेतरहाट ¨चगरी मैराथन दौड़ का आयोजन किया जाता है। जहां झारखंड सरकार एवं केंद्र सरकार के कई मंत्रियों का आगमन हो चुका है। ¨चगरी गांव में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, वर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास, राजबाला वर्मा, तत्कालीन राज्यपाल प्रभात कुमार, वर्तमान राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय राज्य मंत्री सुदर्शन भगत, स्मृति ईरानी, गिरिराज ¨सह, विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव सहित दर्जनों विधायक एवं सांसद सरीखे कई लोग गांव का आगमन हो चुका हैं। परंतु इस तीर्थ स्थल का अबतक समुचित विकास नहीं हो पाया है। और ना ही शहीद के परिजनों की बदहाली में किसी की नजर पड़ी है।

    विकास भारती की स्थापना के बाद चर्चा में आया ¨चगरी गांव

    1983 में जब विकास भारती बिशुनपुर की स्थापना होगी तब संस्था के सचिव अशोक भगत पदयात्रा के दौरान ¨चगरी गांव पहुंचे। जहां उन्हें पता चला कि गांव में एक जतरा टाना भगत नाम का युवक ने अंग्रेजो के खिलाफ अ¨हसात्मक आंदोलन चलाया था जिसे टाना भगत आंदोलन के नाम से जाना जाता है। तब उन्होंने इसकी पड़ताल करना प्रारंभ की है। और उनके पैतृक गांव में प्रतिमा की स्थापित किया।तब से धीरे-धीरे लोगों ¨चगरी गांव एवं उस गांव के महान स्वतंत्रता सेनानी गांधी विचारधारा के जतरा टाना भगत को लोग जानने लगे। इससे पहले बहुत कम लोग उनके विषय में जानते थे।और आज गांव में लोगों का आना-जाना शुरू हुआ। तथा आज वहां बिजली पेयजल एवं सड़क का निर्माण हुआ है। प्रशासन अब तक नहीं लिया हाल चाल : विसवा टाना भगत

    जतरा भगत के परपोता विशवा टाना भगत से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि कभी कभी पत्रकार एवं विकास भारती के लोग घर आकर हम लोगों का हालचाल पूछते हैं। नहीं तो इसके अलावा कोई भी जिला प्रशासन या प्रखंड प्रशासन के पदाधिकारी अब तक घर नहीं गए हैं। और ना ही उनकी विषय में जानने की कोशिश की है। उन्होंने बताया कि विकास भारती द्वारा बीच-बीच में मदद की जाती है। इसके अलावा किसी प्रकार की कोई सहयोग नहीं मिलता है। गरीबी के कारण मैंने अपने बच्चों का पढ़ाई लिखाई सही ढंग से नहीं करा पाया। अगर सरकार मदद करती तो मैं भी अपने बाल बच्चा को पढ़ा कर कुछ बनाता। यही कारण है कि आज सभी लोग मजदूरी कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं।