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    गुमला में छह डिग्री से नीचे उतरा पारा, हाड़ कंपाती ठंड में बेबस जरूरतमंद, रैन बसेरे बने शोपीस

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 06:13 PM (IST)

    झारखंड के गुमला जिले में कड़ाके की ठंड और घने कोहरे से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। तापमान छह डिग्री सेल्सियस से नीचे चला गया है। प्रशासन की ओर से ठंड से बच ...और पढ़ें

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    गुमला में खाली पड़ा रैन बसेरा। गरीब खुले आसमान के नीचे समय बीता रहे हैं।

    जागरण संवाददाता, गुमला। झारखंड के गुमला जिले में कड़ाके की ठंड और घने कोहरे ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। न्यूनतम तापमान छह डिग्री सेल्सियस से नीचे पहुंच चुका है। 
     
    ठंड से बचाव को लेकर जिला प्रशासन और नगर परिषद की तैयारियां अधूरी हैं। ठंडी हवा और शीतलहर के कारण सुबह और शाम सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहता है। 
     
    बाजारों की रौनक फीकी पड़ गई है और लोग मजबूरी में ही घरों से बाहर निकल रहे हैं। इस हाड़ कंपा देने वाली ठंड का सबसे अधिक असर बुजुर्गों, बच्चों, दैनिक मजदूरों और फुटपाथ पर जीवन गुजारने वाले बेसहारा लोगों पर पड़ रहा है। 
     
     

    जिम्मेदारी निभाने में प्रशासन पूरी तरह नाकाम 

    राहत पहुंचाने की जिम्मेदारी निभाने में प्रशासन पूरी तरह नाकाम है। जरूरतमंदों के लिए बनाए गए रैन बसेरे बदहाल हैं। नगर परिषद क्षेत्र के खड़ियापाड़ा और बड़ाइक मोहल्ला स्थित रैन बसेरों की स्थिति सही नहीं है। 
     
    खड़ियापाड़ा स्थित 50 बेड क्षमता वाला रैन बसेरा शहर से दूर होने और प्रचार-प्रसार के अभाव में खाली पड़ा है। यहां बिजली की वायरिंग चोरी हो चुकी है, खिड़कियों के शीशे टूटे हैं, बाथरूम के दरवाजे क्षतिग्रस्त हैं। 

     

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    बड़ाइक मोहल्‍ला का रैन बसेरा हमेशा बंद रहता है 

    वहीं बड़ाइक मोहल्ला का रैन बसेरा हमेशा ताले में बंद रहता है। अंदर गंदगी पसरी है और रखरखाव के अभाव में भवन जर्जर हो चुका है। लिहाजा फुटपाथों पर लोग सोने को मजबूर हैं। खुले आसमान के नीचे रात बिताने को विवश हैं।

    ठंड से बचाव को लेकर नगर परिषद द्वारा चार स्थानों पर अलाव जलाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि कहीं-कहीं दो-चार लकड़ियां जलाकर महज औपचारिकता निभाई जा रही है। पहले जहां दिसंबर की शुरुआत में चौक-चौराहों, बस स्टैंड और अस्पताल परिसरों में अलाव की समुचित व्यवस्था रहती थी, इस बार वह नदारद है।

     

    ग्रामीण प्रखंड क्षेत्रों में भी हालात गंभीर 

    इधर ग्रामीण प्रखंड क्षेत्रों में भी हालात गंभीर हैं। शुक्रवार को सुबह 10 बजे तक घना कोहरा छाया रहा, जिससे दृश्यता बेहद कम हो गई और वाहनों को दिन में भी हेडलाइट जलाकर चलना पड़ा। शाम छह बजे के बाद सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता है।

    ललित उरांव बस स्टैंड पर मजदूरी करने वाले भीखु भगत और सुखराम सिंह ने बताया कि वे रात यहीं गुजारते हैं। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से तत्काल अलाव, कंबल वितरण और रैन बसेरों की मरम्मत की मांग की है।

    कंबल बांटने का काम शुरु कर दिया गया है। दो-चार दिनों के भीतर इसमें तेजी आएगी। जिले को 28600 कंबल प्राप्त हुआ है। ठंड से बचाव के लिए प्रशासन हर संभव कार्य कर रहा है।

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    ललन रज्क, सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा कोषांग गुमला