कई मायनों में गुणकारी है करंज का पेड़
निर्मल सिंह, गुमला : जनजातीय बहुल क्षेत्र में पाया जाने वाला करंज एक ऐसा पेड़ है जिसकी पूजा तो नहीं होती, लेकिन कई मायनों में यह गुणकारी है। करंज पेड़ के हर भाग में औषधीय गुण पाए जाते हैं। दीपावली में दीप जलाने में करंज तेल का विशेष महत्व होता है। गांवों में करंज की टहनी से सुबह की शुरुआत होती है। गांव के लोग इसे दातुन के रूप में उपयोग करते हैं। करंज के दातुन का संबंध दांतों की मजबूती एवं मुंह की स्वच्छता से जुड़ा हुआ है। करंज का पत्ता त्वचा को निरोग रखने में सहायक होता है। गांवों में खुजली के रोगी एवं त्वचा के किसी भी प्रकार के बीमारियों के लिए लोग करंज पत्ते का उपयोग करते हैं। करंज पत्ता को पानी में उबाल कर स्नान करने से खुजली से निजात मिलती है। यही कारण है कि करंज का साबुन भी बनता है और ग्रामीण क्षेत्रों में इसका खासा उपयोग होता है। करंज के फूल से मिलने वाले शहद का कोई मुकाबला नहीं है। इसके फूल से बने खाद भी खेतों के लिए उपयोगी होते हैं। यहां तक की करंज का उपयोग मच्छर भगाने में भी होता है। उसके पत्ते या लकड़ी का जलावन के रूप में प्रयोग होता है। करंज लकड़ी का धुआं मच्छरों का दुश्मन होता है। मच्छरों से बचने के लिए शरीर में भी करंज का तेल लगाया जाता है। दीपावली में करंज तेल का महत्व बढ़ जाता है। यह इसलिए कि दीवाली का दीया करंज के तेल से जलाने की प्राचीन परम्परा रही है। आधुनिक युग में रंग-बिरंगे बल्बों से घरों को सजाया जाता है लेकिन करंज तेल का दीया दीपावली के दिन घरों में जलाना अनिवार्य होता है। दीपावली के दूसरे दिन सोहराई पर्व के अवसर पर मवेशियों की करंज तेल से मालिश होती है। इस तरह करंज तेल का औषधीय गुण के साथ-साथ पारम्परिक और आध्यात्मिक महत्व भी है।
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