20 साल पुराने चापाकल पर मिट्टी डंप, ग्रामीणों ने प्रशासन से की कार्रवाई की मांग
गोड्डा के औंराटांड़ गांव में एक पुराने चापाकल को मिट्टी से दबा दिया गया है, जिससे ग्रामीणों को पानी की समस्या हो रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि मनोज ...और पढ़ें

20 साल पुराने चापाकल पर मिट्टी डंप
संवाद सहयोगी, पथरगामा (गोड्डा)। प्रखंड की माल निस्तारा पंचायत अंतर्गत औंराटांड़ शराब दुकान के समीप सरकारी चापाकल को मिट्टी से दबा दिया गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के मनोज भगत ने मकान में मिट्टी भराई लिए बीते पंद्रह दिनों से उक्त चापाकल के आसपास मिट्टी डंप कर रहे हैं जिससे चापाकल धीरे-धीरे मिट्टी के भीतर दबता जा रहा है।
ग्रामीणों के अनुसार यह चापाकल पिछले लगभग बीस वर्षों से कार्यरत है और आसपास के कई परिवार इसी चापाकल से पानी भरकर अपने दैनिक उपयोग के लिए ले जाते हैं।
लेकिन बीते पंद्रह दिनों से मिट्टी भराई के कारण पेयजल लेने में भारी परेशानी हो रही है। चापाकल तक पहुंचना मुश्किल हो गया है और कभी भी इसके पूरी तरह बंद हो जाने की आशंका बनी हुई है।
मेरी जमीन पर सरकारी चापाकल नहीं रहेगा
इस संबंध में जब ग्रामीणों ने मनोज भगत से आपत्ति जताई और पूछा कि चापाकल बंद हो गया तो लोग पानी कहां से लाएंगे, तो आरोप है कि मनोज भगत ने कहा कि “यह मेरी खरीदी हुई जमीन है और मेरे घर के आगे अब यह सरकारी चापाकल इस जगह पर नहीं रहेगा। आप लोग अपना-अपना बोरिंग करा लीजिए, हम क्या ठेकेदारी लेकर रखे हैं कि कहां से पानी लाकर देंगे।
ग्रामीणों का कहना है कि यह चापाकल सार्वजनिक उपयोग का है और इसे मिट्टी से भरना पूरी तरह गलत है। इससे गांव के गरीब और जरूरतमंद परिवारों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है, जो निजी बोरिंग कराने में सक्षम नहीं हैं। पंद्रह दिनों से पीने के पानी के लिए गांव के लोगों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है।
चापाकल को सुरक्षित कराने की मांग
ग्रामीणों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि मामले की शीघ्र जांच कराकर चापाकल को सुरक्षित कराया जाए तथा पेयजल आपूर्ति बहाल की जाए, ताकि गांव के लोगों को स्वच्छ पानी मिल सके। यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो गांव में गंभीर पेयजल संकट उत्पन्न हो सकता है।

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