बेटी का जन्मदिन मना रहे थे, पुलिस ने उठाया और मार दिया, मानवाधिकार आयोग के सामने पत्नी का आरोप
बहुचर्चित सूर्या हांसदा एनकाउंटर मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जांच शुरू कर दी है। आयोग की टीम ने गोड्डा के डकैता गांव में सूर्या के परिजनों से बयान दर्ज किए। सूर्या की पत्नी ने आरोप लगाया कि पुलिस ने फर्जी मुकदमे में फंसाकर उनके पति को प्रताड़ित किया और फिर उनकी हत्या कर दी। आयोग ने परिवार को निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है।

जागरण संवाददाता, गोड्डा। बोआरीजोर थाना क्षेत्र के रहड़बड़िया जंगल में बीते 11 अगस्त को पुलिस मुठभेड़ में मारे गए सामाजिक कार्यकर्ता सूर्या हांसदा का मामला अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के संज्ञान में आ गया है।
इस बहुचर्चित एनकाउंटर की जांच के लिए आयोग की दो सदस्यीय टीम ने उनके पैतृक गांव डकैता पहुंचकर परिवार के सदस्यों से गहन पूछताछ की है।
आयोग के अधिकारी विमल उत्पल और संजीव कुमार ने सूर्या की मां नीलमणि मुर्मू, पत्नी सुशीला मुर्मू और छोटे भाई प्रमोद हांसदा से मुलाकात कर उनके बयान दर्ज किए। इस दौरान परिवार ने एनकाउंटर से जुड़े कई चौंकाने वाले खुलासे किए।
पत्नी ने लगाए पुलिस पर गंभीर आरोप
सूर्या की पत्नी सुशीला मुर्मू ने आयोग को बताया कि पुलिस प्रशासन ने उनके पति पर कई फर्जी मुकदमे लादकर उन्हें जानबूझकर परेशान किया।
उन्होंने बताया कि जिस दिन राजमहल परियोजना खनन क्षेत्र में गोलीकांड हुआ था, उसी दिन सूर्या अपने घर पर बेटी का जन्मदिन मना रहे थे, फिर भी उनका नाम इस मामले में घोंटा गया। इसी फर्जी मुकदमे के आधार पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया।
सुशीला ने दावा किया कि पुलिस ने कई बार ऊर्जा नगर स्थित ईसीएल क्वार्टर पर जाकर सूर्या को आत्मसमर्पण करने की धमकी दी थी और न मानने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी।
उन्होंने बताया कि उस समय सूर्या टाइफाइड सहित अन्य बीमारियों से जूझ रहे थे और देवघर में अपने एक रिश्तेदार के घर पर रुके हुए थे।
पहले टॉर्चर किया, फिर कर दिया एनकाउंटर
सुशीला मुर्मू ने आयोग को बताया कि 10 अगस्त की शाम को पुलिस ने सूर्या को गिरफ्तार किया था। उन्होंने मीडिया को पहले ही यह आशंका जता दी थी कि उनके पति का एनकाउंटर किया जा सकता है।
उनकी आशंका सच साबित हुई। सुशीला के अनुसार गिरफ्तारी के बाद सूर्या को महागामा लाया गया और उसी रात मुठभेड़ में मार दिया गया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सूर्या को भयानक यातनाएं दी गईं, जिसके चलते उनके शरीर पर इलेक्ट्रिक शॉक के निशान थे। सुशीला ने पुलिस के इस तर्क को खारिज किया कि सूर्या हथकड़ी लगे होने के बावजूद पुलिस की राइफल छीनकर भागने की कोशिश कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि घटनास्थल पर गोली चलने का कोई निशान नहीं मिला। उन्होंने आयोग से न्याय की गुहार लगाते हुए इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
आयोग ने परिवार को आश्वासन दिया है कि सभी बयानों और घटनास्थल के निरीक्षण के आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसे आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों को भेजा जाएगा। इसके बाद कानूनी प्रक्रिया के तहत आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
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