Godda News: कझिया नदी में धड़ल्ले से हो रही अवैध बालू खनन, प्रशासन बेखबर
गोड्डा के नेपुरा और सिमरडा पंचायत के बीच कझिया नदी से बड़े पैमाने पर अवैध बालू खनन हो रहा है जिससे सिंचाई व्यवस्था प्रभावित हो रही है। समाजसेवी संतोष कुमार सिंह ने सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा कर इस मुद्दे को उठाया है। ग्रामीणों ने इस अवैध खनन को रोकने के लिए उचित करवाई की मांग की है।

इस अवैध कार्य को रोकने के लिए अंचल, खनन व टास्क फोर्स से कोई पहल नहीं हो रही है। इस बाबत दियारा गांव के समाजसेवी संतोष कुमार सिंह ने इंटरनेट मीडिया पर तस्वीर के साथ पूरे मामले को उठाया है।
उन्होंने कहा कि कझिया नदी से निकलने वाली राज डांड़ जो अंग्रेज के समय से दियारा, सिमरडा, ककना मोलनाकित्ता, परासी से लेकर सैदापुर तक लगभग एक हजार एकड़ से ज्यादा जमीन पर खेती व पटवन होती है, वहां बालू चोरों की नजर लग गई है।
कहा है कि इससे साथ-साथ नयागांव दियारा के पास नदी के किनारे की मिट्टी की खुदाई करके मिट्टी व बालू बेचा जा रहा है। नदी में पानी आना मतलब नदी विलुप्त होना या समाप्त होना नहीं है, बल्कि जिस तरह से जलवायु परिवर्तन का रूप पूरे देश में दिख रहा है, जो अब स्थानिक होता जा रहा है कभी-कभी पूरा दियारा गांव आसपास के कई गांव में नदी की मुख्यधारा आ सकती है।
बालू चोर द्वारा सभी मिट्टी व बालू की चोरी करके इसके लिए खुला न्योता दिया जा रहा है। मालूम हो कि जीवनदायिनी कझिया नदी से व्यापक पैमाने पर हो रहे बालू के खनन व अवैध खनन से कझिया नदी का अस्तित्व भी खतरे में है। नदी नाला व जोरिया में तब्दील होती जा रही है।
दूर-दूर तक कझिया नदी में बालू की जगह मिट्टी के टीले देखे जा सकते है, जबकि नदियों से कई धार्मिक संस्कार व कार्य होने के साथ ही किसानों को सिंचाई व पटवन की सुविधा मिलती है। लोगों को पेयजल मिलता है।
इसके साथ ही जलस्तर भी मेंटेन रहता है, लेकिन अवैध खनन से सारी प्राकृतिक व पर्यावरणीय सिस्टम चौपट होता जा रहा है।
ऐसे में केन्द्र व राज्य सरकार के पर्यावरण मंत्रालय को भी इस पर संज्ञान देने की जरूरत है व इस नदी के सर्व करने की जरूरत है कि अवैध बालू खनन से कितना नुकसान हुआ है।
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