जयंती पर याद किए गए दानवीर भामाशाह
जयंती पर याद किये गये दानवीर भामाशाह

जयंती पर याद किए गए दानवीर भामाशाह
संवाद सहयोगी, गोड्डा : तैलिक समाज की ओर से सदर प्रखंड के सिमरडा गांव में शुक्रवार को दानवीर भामाशाह की जयंती मनाई गई। इस दौरान समाज के लोगों ने दानवीर भामाशाह के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किया एवं उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। इस अवसर पर अखिल भारतीय तैलिक साहू महासभा के युवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अशोक कुमार ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मेवाड़ राज्य में जन्मे भामाशाह बाल्य काल से ही मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप के मित्र, सहयोगी व विश्वासपात्र सलाहाकर थे। अपरिग्रह को जीवन का मूलमंत्र मानकर लोगों को संग्रहण की प्रवृति से दूर रहने की चेतना जगाने का काम करते थे। मातृभूमि के प्रति इनका अगाध प्रेम था। इनके सहयोग से ही महाराणा प्रताप ने संघर्ष को नई दिशा दी और मेवाड़ को आत्मसम्मान दिलाया। 1576 में हल्दीघाटी के युद्ध में इन्होंने इतना दान दिया था कि 25 हजार सैनिकों का 12 वर्ष तक निर्वाह हो सकता था। इसी सहयोग के बाद महाराणा प्रताप ने पुन: सैन्य शक्ति संगठित कर मुगल शासकों को पराजित किया और मेवाड़ राज्य प्राप्त किया। लोकहित व आत्म सम्मान के लिए अपना सर्वस्व दान कर देनेवाली उदारता के इस गौरव का गुणगान किया। मौके पर राजकुमार, किशोर कुमार, मुन्ना कुमार, विजय मंडल, श्रवन कुमार, रितेश कुमार, रंजीत मंडल, गुलशन कुमार आदि उपस्थित थे।
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