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    All India Tiger Estimation 2026ः जिसे मान लिया गया था विलुप्त, वही निकला जिंदा ! राजमहल की पहाड़ियों में तेंदुए की चौंकाने वाली मौजूदगी

    By Avinash Kumar Sinha Edited By: Mritunjay Pathak
    Updated: Fri, 19 Dec 2025 05:11 PM (IST)

    All India Tiger Estimation 2026ः  गोड्डा के राजमहल हिल्स के जंगलों में तेंदुआ के विचरण के प्रमाण मिले हैं, जिससे वन विभाग उत्साहित है। ऑल इंडिया टाइगर ...और पढ़ें

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    राजमहल हिल्स में तेंदुए की पुष्टि के संकेत। (प्रतीकात्मक फोटो)

    जागरण संवाददाता, गोड्डा। All India Tiger Estimation (AITE) 2026 के तहत गोड्डा जिले के जंगलों में भी जंगली जानवरों की गणना की जा रही है। यह गणना प्रत्येक चार वर्ष में की जाती है। इस बार वर्ष 2026 के लिए यह इस्टीमेशन किया जा रहा है।

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    Leopard Foot Print

    जंगल में मिले तेंदुए के पद चिह्न

    इसी क्रम में वन विभाग की टीम को गोड्डा जिले के राजमहल हिल्स के तराई क्षेत्र के जंगलों में तेंदुए के विचरण के प्रमाण मिले हैं। विभाग को कई स्थानों पर तेंदुए के स्कैट (मल) भी मिले हैं, जिन्हें एकत्र कर जांच के लिए भेजा जा रहा है, ताकि तेंदुए की मौजूदगी के प्रमाण और अधिक पुख्ता हो सकें।

    तेंदुए का पाया जाना इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अब तक यह माना जा रहा था कि गोड्डा के राजमहल हिल्स क्षेत्र के जंगलों से तेंदुआ जैसी प्रजाति विलुप्त हो चुकी है। हालांकि, हाल में मिले ताजे पदचिह्न इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि अभी भी इस क्षेत्र में तेंदुए की मौजूदगी है।

    वनकर्मियों द्वारा साक्ष्य के तौर पर कई अन्य वैज्ञानिक संकेत भी एकत्र किए गए हैं। इनमें तेंदुए के आवागमन के निशान, पेड़ों पर पंजों के निशान आदि के सैंपल शामिल हैं। इन सभी सैंपलों को जांच के लिए देहरादून स्थित लैब भेजा जाएगा।

    फिलहाल गोड्डा वन विभाग ऑल इंडिया टाइगर इस्टीमेशन 2026 के तहत डेटा एकत्रण के लिए सुंदरपहाड़ी वन प्रक्षेत्र के सुसनी से लेकर डमरूहाट, चंदना होते हुए जियाजोरी तथा गोड्डा रेंज के करमाटांड़ बिट के खलारी से लेकर बोआरीजोर वन प्रक्षेत्र के सुंदरडैम स्थित गड़ियल तक लगातार एक सप्ताह से सर्वे में जुटा हुआ है।

    जिला वन विभाग द्वारा इस मामले में लगातार जांच-पड़ताल की जा रही है। पहले चरण में प्रत्येक बीट अधिकारी को पांच किलोमीटर तक सर्वे करने का कार्य सौंपा गया था, जबकि दूसरे चरण में जंगल के भीतर दो-दो किलोमीटर के रूट पर सर्वे कराया गया। इस दौरान विशेष रूप से मांसाहारी वन्यजीवों के डेटा संग्रह पर जोर दिया गया।

    इसके लिए विभाग द्वारा एक चिह्नित रूट मैप उपलब्ध कराया गया, जिसके आधार पर वनकर्मियों ने सर्वे किया। इस अभियान में राजीव मोदी, सौरभ, अमित कुमार, मुकेश, मनीष, रतन झा, अशोक दास, दिनेश, राजीव रंजन सहित अन्य वनरक्षक शामिल हैं।

    संताल का वन क्षेत्र रहा है वन्यजीवों का बसेरा

    ज्ञात हो कि राजमहल हिल्स श्रेणी का गोड्डा सहित संथाल परगना क्षेत्र में पर्यावरणीय, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्व रहा है। यह इलाका वन्यप्राणियों के प्राकृतिक आवास के रूप में भी काफी महत्वपूर्ण है।

    इस क्षेत्र में दमाकोल झरना, फॉसिल पार्क, सुंदरडैम सहित कई मनोरम पर्यटन स्थल मौजूद हैं, जिन्हें भविष्य में इको-टूरिज्म के रूप में विकसित किए जाने की संभावना है। इस दिशा में वन विभाग के सहयोग से प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है।

    सर्दियों के मौसम में सुंदरडैम प्रवासी पक्षियों का भी प्रमुख ठिकाना बन जाता है। यहां साइबेरियन क्रेन, रेड हेडेड पोचार्ड और ग्रीव जैसे पक्षियों का आगमन होता है। यदि जिले के ग्रामीण राजमहल की पहाड़ियों के वनों और वन्यजीवों के संरक्षण में सहभागी बनें, तो भविष्य में जंगल ट्रेकिंग और जंगल सफारी जैसी शैक्षणिक एवं आनंददायक सुविधाओं का विकास संभव है।

    इसके अलावा इस क्षेत्र में लकड़बग्घा, सिवेट कैट, लोमड़ी, सियार, नीलगाय, सांभर, जंगली सूअर, खरगोश, रॉक पाइथन, इंडियन पेंगोलिन सहित अन्य वन्यजीवों के पाए जाने के भी प्रमाण मिले हैं।

    यह खोज अभियान जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी (वन्यजीव) पवन शालिग्राम के निर्देश पर तथा गोड्डा रेंज अधिकारी संजय कुमार और सुंदरपहाड़ी वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी समियाल मालतो के संयुक्त नेतृत्व में संचालित किया जा रहा है।