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    अघोरेश्वर नाथ: तंत्र विधि से होती है आराधना

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    Updated: Thu, 12 Jul 2012 07:49 PM (IST)

    निज प्रतिनिधि, गोड्डा : पावन सावन मास में पथरगामा प्रखंड के अघोरेश्वर नाथ महादेव के पूजन को लेकर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। सावन में चिहारी पहाड़ के श्मशान स्थित अघोरेश्वर नाथ महादेव का जलाभिषेक एवं पंचोपचार पूजन की परंपरा है। जबकि रात्रि में कौल साधक तंत्र विधि से शिव की विशिष्ट पूजन कर शिव स्वरूप हो जाते हैं।

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    अधोरेश्वर नाथ महादेव की लीला अजीव है जहां भक्तों की मुराद निश्चित रूप से पूरी होती है। सालोभर रात्रि में तंत्र साधक मंदिर प्रांगण में शिव स्तुति, शिव ताण्डव स्त्रोत तथा शिव मंत्रों का जप करते हैं। सावन मास की रात्रि में रूद्राष्टक के पाठ के साथ-साथ विशेष तिथि को तंत्र साधक चिता भस्म से शिव का अभिषेक भी करते है। तंत्र साधक शंभू नाथ पाण्डेय ने बताया कि चिहारी श्मशान के अधिपति अघोरेश्वर नाथ महादेव हैं जिनकी आराधना से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

    तंत्र साधकों के साथ-साथ वैष्णव साधक भी यहां रूद्राभिषेक के माध्यम से विशेष फल प्राप्त करते हैं। यहां साधकों और शिव का अन्तर समाप्त हो जाता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार शिवो भूत्वा शिवो भवेत अर्थात शिव बनकर ही शिव की अराधना की जा सकती है। तंत्रों का उद्गम भी शिव की डमरु की ध्वनि से हुआ है।

    बताया जाता है कि जिस प्रकार चिहारी स्थान रहस्यों से भरा पड़ा है। उसी प्रकार यहां की शिव लिंग की पूजा भी विलक्षण ढंग से किया जाता है। पथरगामा के एक बंगाली परिवार के पूर्वजों द्वारा स्थापित यह शिव लिंग विशिष्ट फल दे रहा है।

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