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    लाटो नायक उच्च विद्यालय में कुर्सी की लड़ाई फिर शुरू

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 20 Aug 2022 05:09 PM (IST)

    लाटो नायक उच्च विद्यालय में कुर्सी की लड़ाई फिर शुरू

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    लाटो नायक उच्च विद्यालय में कुर्सी की लड़ाई फिर शुरू

    लाटो नायक उच्च विद्यालय में कुर्सी की लड़ाई फिर शुरू

    संवाद सहयोगी, खोरीमहुआ (गिरिडीह) : धनवार प्रखंड का लाटो नायक उच्च विद्यालय नावागढ़चट्टी एक बार फिर से कुर्सी की लड़ाई का केंद्र बन गया है। अनुदान पर आठवीं से दसवीं तक चल रहे इस विद्यालय की शिक्षण व्यवस्था पर अब फिर से खतरा मंडराने लगा है। पिछले कुछ वर्षो से देखें तो यह विद्यालय बच्चों को शिक्षा देने में कम और शिक्षकों के बीच चल रही राजनीतिक को लेकर सुर्खियों में रहा है। वर्तमान में मुख्य रूप से चार और कुछ अन्य सहयोगी शिक्षकों के भरोसे चल रहे इस स्कूल में फिर से शिक्षकों के बीच गुटबाजी चरम पर है। इसका सबसे अधिक गंभीर परिणाम विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों के पठन-पाठन पर पड़े रहा है।

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    पूर्व प्रधानाध्यापक लक्ष्मी नायक के सेवानिवृत होने के बाद से प्रधानाध्यापक की कुर्सी को पाने की होड़ मची है। कुछ दिनों तक इस पद के लिए सुधीर पांडेय और गुरुचरण प्रसाद के बीच जबरदस्त टकराहट रही। दोनों सेवानिवृत्त हो चुके हैं। कुर्सी पाने की होड़ एक बार फिर लग गई है। वर्तमान में नए प्रधानाध्यापक का पदभार विद्यालय के शासी निकाय ने प्यारी नायक को दे दिया है। इस फैसले पर सवाल खड़े होने लगे हैं। हर कोई यही जानना चाह रहा है कि आखिर किस आधार पर विद्यालय प्रबंधन कमेटी ने इनका चयन किया है। विद्यालय के चार मुख्य शिक्षकों में प्यारी नायक, प्रसादी नायक, मुबारक अली और गोपाल शरण सिंह शामिल हैं। इन सभी में शिक्षा के आधार और विद्यालय में सेवा के आधार पर सबसे अधिक दिनों का अनुभव प्रसादी नायक का रहा है। इनकी योग्यता एमए, एमएड रहा है जबकि प्यारी नायक की योग्यता सीपीइडी रही है। इस आधार पर देखा जाए तो प्रधानाध्यापक पद के योग्य दावेदार प्रसादी नायक ही होते हैं। इन्हें इससे वंचित कर दिया गया है। इससे हताश होकर प्रसादी बताते हैं कि वे विद्यालय के प्रधानाध्यापक पद के लिए सबसे योग्य हैं। यहां की विद्यालय कमेटी और अन्य लोगों के राजनीतिक एजेंडे का शिकार वे हो गए हैं। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें इस पद से वंचित करने को लेकर काफी साजिशें रची गई हैं। कहा कि अब वह कुछ माह में रिटायर होनेवाले हैं। प्रधानाध्यापक की कुर्सी की अब उन्हें कोई आवश्यकता भी नहीं हैं।

    सचिव सुरेंद्र कुमार ने बताया कि प्रधानाध्यापक की कुर्सी को लेकर पहले शिक्षक आमने सामने थे। उनके सचिव बनने पर अब यह लड़ाई खत्म हो चुकी है। विद्यालय का संचालन सुचारु रूप से हो, इसके लिए वर्तमान में नए नियम बनाए गए हैं। इसलिए विवाद हो रहा। प्रधानाध्यापक प्यारी नायक नहीं चाहते कि नया नियम विद्यालय में लागू हो। इसके लिए तरह तरह की गलतियां निकालते रहते हैं। 15 अगस्त को प्रधानाध्यापक ने खुद इस्तीफा लिखा और सार्वजनिक तौर पर इसकी घोषणा भी उन्होंने की। वहीं दूसरी तरफ छात्रों को उकसा कर रैली निकलवाई और सड़क जाम करवा सचिव को हटाने की मांग को हवा दी गई। उन्होंने बताया कि शिक्षकों का वेतन हाथों हाथ देने की जगह बैंक खाता में दिलवाने का नियम बनाना मूल विवाद का कारण है। बताया कि दो माह पहले भी उन्होंने स्वेच्छा से सचिव के नाम त्याग पत्र लिखा था।

    प्रधानाध्यापक प्यारी नायक ने बताया कि विद्यालय के सचिव सुरेंद्र कुमार, शिक्षक प्रसादी नायक आदि हमेशा प्रधानाध्यापक पद से इस्तीफा देने के लिए दबाव बनाते रहते हैं। छोटी- छोटी बातों को लेकर विवाद करते रहते हैं। 15 अगस्त के दिन भी इस्तीफा लिखने के लिए लोगों ने उन पर दबाव बनाया। इस पर उन्होंने इस्तीफा पत्र लिख भी दिया। इसकी जानकारी जब छात्रों को हुई तो छात्र उनके पक्ष में आंदोलन पर उतर आए।

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